देहरादून, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने हरेला पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उत्तराखंड में मनाया जाने वाला लोकपर्व ‘हरेला’ सावन के आने का संदेश है। इस पर्व के पीछे फसल लहलहाने की कामना है, खुशहाली का आशीष है, बुजुर्गों का आर्शीवाद है। मुख्यमंत्री धामी ने हरेला पर्व पर होने वाले पौधारोपण अभियान को एक व्यापक जनांदोलन के रूप में लिया।
सतपाल महाराज ने लोकपर्व ‘हरेला’ पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद के तत्वाधान में रिस्पना पुल स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह परिसर में आयोजित हरियाली महोत्सव के अंतर्गत पौधरोपण सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभाग के मौके पर यह बातें कही। मंत्री शिमला बाईपास रोड साई लोक कॉलोनी स्थित न्यू एरा एकेडमी में भी हरेला कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मंत्री ने कहा कि हरेला चैत्र माह में फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है जबकि श्रावण माह में इसे हरियाली और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार अश्विन माह में इसे सर्दियों के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
महाराज ने कहा कि हरेला के दिन लोग एक छोटे बर्तन या टोकरी में पांच से सात प्रकार के अनाज के बीज बोते हैं और नौ दिनों तक उनकी पूजा करते हैं। दसवें दिन, वे अंकुरित अनाज काटते हैं और उन्हें सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में पहनते हैं। लोग इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा भी करते हैं। यह किसानों के लिए एक शुभ दिन माना जाता है, क्योंकि यह वह दिन है जब वे अपने खेतों में बुवाई का चक्र शुरू करते हैं।
संस्कृति मंत्री ने हरेला पर्व पर प्रदेशवासियों से अधिक से अधिक पौधे लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें हर अवसर पर वृक्षारोपण करना चाहिए।
इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट अनेक विभागीय अधिकारियों के साथ मौजूद रही। न्यू एरा एकेडमी में आयोजित हरेला कार्यक्रम में भी स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग और छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार / पवन कुमार श्रीवास्तव