लखनऊ, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । भाजपा के जितने भी कार्यक्रम हो रहे हैं वह सभी विश्वविद्यालयों के अन्दर हो रहे हैं। चाहे वह राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में हो चाहे वाराणसी में काशी विद्यापीठ में किया गया हो। भाजपा के लोग शिक्षण संस्थाओं का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं? यह सवाल किया है कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने। वे लखनऊ के कांग्रेस कार्यालय पर सोमवार
को मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के लोग कोई भी कार्यक्रम शिक्षण संस्थान में नहीं करते। सरकारी कार्यक्रम जरूर हुए होंगे। आपकी भी सरकार है आप भी कर सकते हैं, पर सभी कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों में ही क्यों किये जा रहे है? यह मेरा भाजपा के लोगों से सीधा सवाल है। निश्चित तौर पर भाजपा के द्वारा शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह से तहस नहस किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को पूरी तरह से संघ का केन्द्र बनाया जा रहा है। बीएचयू के अंदर भी गेस्ट हाउस हैं, जहां विद्यार्थी परिषद के लोग रहते है। मगर उनके नाम बुक नहीं होता, बल्कि किसी सांसद अथवा विधायक के नाम पर और रहते है।
अजय राय ने कहा कि एक छोटे से होटल में कुछ भर्तियां निकलती हैं और उसमें हजारों आवेदनकर्ता पहुंच जाते हैं, जिससे पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है। यह घटना गुजरात में घटित हुई है। मैं उसी गुजरात मॉडल की बात कर रहा हूं जिसके जरिये विकास का डंका बजाने की बात कही गई थी। श्री राय ने कहा कि आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक यदि 100 लोग बेरोजगार हैं तो उसमें से 83 युवा हैं, और सबसे बुरी हालत उत्तर प्रदेश की है। भाजपा के लोग कह रहे हैं कि रोजगार दिया जा रहा है पर सच्चाई यह है कि इनके पास रोजगार के नाम पर न तो कोई योजना है और न ही कोई व्यवस्था है।
श्री राय ने कहा कि पिछेल एक साल में सब्जियों के मूल्य 30 प्रतिशत से बढ़ गये। दाल के मूल्य 16 प्रतिशत से और इसी तरह से हर खाद्य सामग्री महंगी हो गई। पूरी दुनिया मे कच्चे तेल का दाम गिरा हुआ है और हमारे यहां फिर जनता को महंगे दामों पर पेट्रोल डीजल खरीदना पड़ रहा है। श्री राय ने कहा कि योगी सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर जो निवेश का दावा किया जा रहा है, वह भी पूरी तरह से झूठ और मक्कारी से भरा हुआ है। 2023 की समिट में सिर्फ तीन दिनों 33.5 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए थे और उसी साल पूरे भारत का निजी निवेश 48.5 लाख करोड़ था। इसका मतलब पूरे भारत के निजी निवेश में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ उ0प्र0 की है। यह सिर्फ झूठ और झूठ के अलावा कुछ नहीं है। 2018 से लेकर 2022 तक सभी इन्वेस्टर्स समिट में जितने निवेश का वादा किया गया था, उसमें जमीन पर सिर्फ 9 से 10 प्रतिशत तक का ही निवेश हुआ है।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय / मोहित वर्मा