जयपुर, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । चिकित्सा विभाग की ओर से संदिग्ध संक्रामक बीमारी चांदीपुरा को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है और विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। उदयपुर जिले के खेरवाड़ा ब्लॉक के दो गांवों में इस संदिग्ध बीमारी को लेकर सूचना मिली थी। जिले के चिकित्सकों को बच्चों में पायी गयी इस संदिग्ध बीमारी के बारे में गंभीरतापूर्वक सावधानी बरतने और विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिये गये हैं।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि गुजरात बॉर्डर पर स्थित खेरवाड़ा ब्लॉक के नलफला और अखीवाड़ा गांवों के दो बच्चों का गुजरात के हिम्मतनगर में उपचार चल रहा था। उपचार के दौरान जांच में इनको विशेष प्रकार के संक्रमण की रिपोर्ट आई है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक उपचार में विलंब के कारण एक बच्चे को बचाया नहीं जा सका, जबकि दूसरे बच्चे का चिकित्सालय में उपचार चल रहा है और उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है।
डॉ. माथुर ने बताया कि गुजरात चिकित्सा प्रशासन द्वारा संक्रामक रोग ‘चांदीपुरा’ की जांच के लिए नमूने पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को भिजवाये गये हैं। उन्होंने बताया कि इस रोग के संक्रमण के कैसेज गुजरात राज्य में पाये गये थे और राजस्थान में इस रोग का कोई केस दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि दर्ज किये गये दोनों मामलों में बच्चे खेरवाड़ा ब्लॉक के हैं और इस क्षेत्र के निवासी रोजगार हेतु गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में पलायन करते हैं। उन्होंने बताया कि 11 जुलाई को बच्चों के संक्रमण की सूचना मिलते ही संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को सावधानी बरतने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिये गये। उन्होंने बताया कि गुजरात में उपचाराधीन बच्चों की वास्तविक रिपोर्ट आना शेष है।
निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि चांदीपुरा रोग एक वायरल संक्रमण है जो मच्छर, घुन, रेतीली मख्खी के माध्यम से फैलता है। इसके उपचार में विलंब होने पर गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने बताया कि चांदीपुरा संक्रमण के मुख्य लक्षण में बुखार आना, उल्टी होने और आकस्मिक दौरे पड़ना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लक्षण वाले विशेष सतर्कता बरतें और चिकित्सक की देखरेख में यथाशीघ्र उपचार कराएं।
डॉ. माथुर ने बताया कि उदयपुर जिले से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार चांदीपुरा संक्रमण के गंभीर लक्षणों वाला कोई अन्य मरीज उपचारधीन नहीं है और प्रभावित रहे क्षेत्रों में आवश्यक सर्वे-निगरानी बढ़ाने, सैम्पल अविलंब एसएमएस मेडिकल कॉलेज भिजवाने, कीट-मच्छररोधी गतिविधियां संचालित करने सहित आवश्यक जनजागरूकता विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं।
(Udaipur Kiran) / इंदु