Haryana

सिरसा: भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जनता को सिर्फ धोखा ही दिया: कुमारी सैलजा

कुमारी सैलजा

प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की हड़ताल से मरीज हुए परेशान

चिकित्सकों की मांगों की अनदेखी कर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करना बेहद शर्मनाक और निंदनीय

सिरसा, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार से हर वर्ग के लोग परेशान है, जब उनकी कोई सुनवाई नहीं होती तो वे धरना-प्रदर्शन और हड़ताल का सहारा लेते हैं। ऐसा ही सरकार ने हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन की मांगों की अनदेखी करके किया है।

उन्हाेंने कहा कि सोमवार को प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक दो घंटा तक हड़ताल की। जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रदेश के सिविल अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल अवस्था में हैं, जनता विशेषज्ञों डॉक्टरों का सालों से इंतजार ही कर रही हैं। हर माह सेंकड़ों मरीज रेफर किए जा रहे हैं, अल्ट्रासाउंड जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं। मरीजों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। भाजपा सरकार लोगों की जान से खेल रही है, यह स्थिति बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जनता को सिर्फ धोखा दिया है।

कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के आह्वान पर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक सोमवार यानी 15 जुलाई को दो घंटा हड़ताल पर रहे। इस दौरान ओपीडी बंद रही, जनसेवा को देखते हुए इमरजेंसी तथा पोस्टमार्टम सेवाओं को ही बहाल रखा गया। एचसीएमएसए एसोसिएशन का कहना है कि सरकार और एचसीएमएसए एसोसिएशन के बीच आपसी सहमति के बाद डॉक्टरों ने छह महीने पहले अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था, लेकिन आज तक मानी गई मांगें पूरी नहीं हो पाई है. जिसके चलते डॉक्टर दोबारा हड़ताल को मजबूर हैं। स्पेशलिस्ट कैडर, पीजी कोर्स के बांड में कमी, एसएमओ की सीधी भर्ती रोकने और केंद्रीय सरकारी डॉक्टरों के समान एसीपी भत्तों की मांग पूरी नहीं होने पर डॉक्टरों में नाराजगी बढ़ी है।

एसोसिएशन को इस बात पर ऐतराज है कि 6 महीने बाद भी एसएमओ की सीधी भर्ती और केंद्रीय सरकारी डॉक्टरों के समान एसीपी भत्ते नहीं बढ़े हैं जबकि सरकार डॉक्टरों को आश्वासन दे चुकी है। उन्होंने कहा है कि एचसीएमएसए एसोसिएशन की मांग है कि रिक्त पदों को भरा जाए, मेडिकल ऑफिसर के 3900 पदों में से 1100, एसएमओ के 636 पदों में से 250 पद और निदेशक के आठ पदों में से पांच पद खाली हैं। राज्य के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों की भारी कमी है, लेकिन स्पेशलिस्ट कैडर का प्रस्ताव वित्त विभाग में पिछले चार महीने से अटका हुआ है। पीजी बॉड की राशि में कमी का प्रस्ताव भी छह महीने से लंबित है। डॉक्टरों (एमओ) से (एसएमओ) के नियमित पदोन्नति की फाइल भी पिछले डेढ़ साल से देरी से चल रही है। जो डॉक्टर 2002 में एमओ के रूप में शामिल हुए थे, वे अभी भी पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / रमेश डाबर / SANJEEV SHARMA

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