नई दिल्ली, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि भारत वैश्विक संकट के बीच आजीविका संरक्षण को प्राथमिकता दे रहा है। वह रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ‘बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के विखंडन को रोकने और वैश्विक संकट के परिणामों से संबंधित चुनौतियों से निपटने में संसदों की भूमिका’ विषय पर पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे।
10वें ब्रिक्स संसदीय मंच में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि प्रौद्योगिकीय व्यवधान तथा नियोजन और कौशल पर इसके प्रभाव की वैश्विक चुनौती को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि हम अल्पावधि और मध्यम अवधि में आजीविका संरक्षण को प्राथमिकता दें। उन्होंने सदस्य देशों से एकजुट होकर इन चुनौतियों से निपटने और सभी के लिए एक बेहतर और समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करने का आह्वान किया ।
लोक सभा अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीमित संसाधन होने के बावजूद भारत पर्यावरण को बचाने की दिशा में लगातार ठोस कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए लाइफ पहल के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा दे रहा है। यूएनएफसीसीसी को किए गए वायदे के अनुसार भारत ने उत्सर्जन तीव्रता को कम करने, गैर-जीवाश्म ईंधन से उत्पादित विद्युत क्षमता बढ़ाने और अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने के अपने लक्ष्यों को पार कर लिया है। बिरला ने यह भी कहा कि जलवायु से जुड़े मुद्दों का समाधान यूएनएफसीसीसी ढांचे के भीतर रहकर किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि सतत विकास में पर्यावरण संरक्षण शामिल है, तथापि विभिन्न देशों के अलग-अलग आर्थिक विकास स्तरों को ध्यान में रखते हुए इस लक्ष्य को न्यायसंगत तरीके से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिनिधियों को सचेत करते हुए कहा कि पर्यावरण संबंधी कार्रवाईयों के रूप में उचित ठहराए जाने वाले एकतरफा उपायों से व्यापार प्रभावित हो रहा है, विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय कानून, समानता और यूएनएफसीसीसी (संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) और एनडीसी के सिद्धांत कमजोर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त संसाधन आवश्यक होते हैं। विकासशील देशों को अपने विकास के लिए इनकी जरूरत होती है। इस संबंध में भारत अनुकूलन को प्राथमिकता दे रहा है और अपने एनडीसी को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि संसदें वित्तीय और आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के लिए कानून बनाने और अंतरराष्ट्रीय सिफारिशों के कार्यान्वयन का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस संबंध में भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संसद विश्व व्यापार संगठन के तहत एक नियम-आधारित, भेदभाव रहित, मुक्त, निष्पक्ष, समावेशी, न्यायसंगत और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करती है और अंतर-संसदीय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती है।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार / दधिबल यादव