डूंगरपुर, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । नाता प्रथा की वजह से अनाथ की जिंदगी जी रहे पांच वर्षीय मासूम बालक ऋतिक को महिला थाना पुलिस की पहल पर फिर से माता-पिता का सहारा मिल गया। बालक के पिता के पहली पत्नी से 6 पुत्रियां थी जिसके बाद पुत्र प्राप्ति के लिए उसके पिता ने नाता विवाह कर लिया था जिससे ऋतिक पैदा हुआ लेकिन ऋतिक के पैदा होने के बाद उसकी मां ने दुबारा नाता विवाह कर लिया जिससे वह अपने ननिहाल में अनाथ की जिंदगी जी रहा था। नन्हे बालक को माता-पिता का सहारा मिलनेके साथ दम्पती के जीवन में पुत्र आने के बाद सभी के चेहरे खिल गए तथा सभी ने पुलिस का आभार जताया।
महिला थानाधिकारी सकाराम ने बताया कि सवजी पुत्र धुलाजी मेंणात निवासी नलवा थाना सदर के वैवाहिक जीवन में पहली पत्नी नाथी से 6 पुत्रियां थी लेकिन उसके कोई पुत्र नही होने की वजह से सवजी ने गौरी पुत्री कचरा डामोर निवासी ओडाबड़ा फला कुंडली थाना बिछीवाड़ा से नाता विवाह विगत 5 वर्ष पूर्व कर लिया था, जिससे उसके पुत्र के रूप में ऋतिक पैदा हुआ। जिसके बाद गौरी ने भी दूसरे पुरुष से नाता विवाह कर मासूम ऋतिक को ननिहाल में छोड़ दिया। मामले को लेकर गौरी की माँ हकरी डामोर निवासी ओडाबड़ा फला कुंडली थाना बिछीवाड़ा ने दो दिन पूर्व महिला थाने में रिपोर्ट देकर दोनों पक्षों को समझाइश कर समझौता करवाने की मांग की, जिस पर महिला थाना पुलिस ने शुक्रवार को संवेदनशीलता के साथ सुनवाई करते हुए प्रकरण का निस्तारण कर अनाथ बालक को सभी पक्षों की रजामंदी के बाद उसके माता-पिता को सौप दिया है।
थानाधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को ऋतिक के पिता सवजी तथा सभी पक्षों को थाने पर बुलाकर समझाईश की गई जिसके बाद दम्पती ने नातायात पुत्र ऋतिक को बतौर माता-पिता के रूप में स्वीकार किया। जिसके बाद अनाथ ऋतिक को माता-पिता व सवजी मेंणात व माता नाथी मेंणात को बेटा पाकर खुशी का ठिकाना नही रहा। पुलिस प्रशासन की सकारात्मक पहल से सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / संतोष व्यास / संदीप माथुर