Uttrakhand

ग्राफिक एरा अस्पताल में नई तकनीकों से खुली जीवनरक्षा की राह, जल्द मिलेगी एयर एम्बुलेंस की सुविधा

ग्राफिक एरा अस्पताल में नई तकनीकों से खुली जीवनरक्षा की राह, जल्द मिलेगी एयर एम्बुलेंस की सुविधा

– पहाड़ की राह होगी आसान, गंभीर मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगी एयर एम्बुलेंस सुविधा

देहरादून, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. कमल चनशाला ने कहा कि ग्राफिक एरा अस्पताल में चिकित्सा को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा साईंस से जोड़ा जा रहा है। देश-विदेश की नई तकनीक और सुपर स्पेशलिस्ट की सेवाओं ने ग्राफिक एरा के अस्पताल को कुछ ही समय में नई ऊंचाइयां दी है।

ग्राफिक एरा अस्पताल को एमबीबीएस की 150 सीटों के साथ मेडिकल कालेज की मान्यता मिलने के बाद चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन के पहले इंस्पेक्शन में ही ग्राफिक एरा अस्पताल (ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईसेज) को सभी मानकों पर खरा पाकर वर्ष 2024-25 के एमबीबीएस कोर्स के लिए यह स्वीकृति दी गई है। ग्राफिक एरा अस्पताल में दुनिया की नई तकनीकों और अनुभवी विशेषज्ञों के चलते जटिल रोगों के इलाज और दुर्लभ आपरेशनों के जरिए जीवनरक्षा की एक नई राह खुल गई है। अब यहां वे आपरेशन भी हो रहे हैं जो पहले उत्तराखंड में नहीं होते थे। अत्याधुनिक कैथ लैब, थी टेक्सला एमआईआई, 128 स्लाइस के सीटी स्कैन समेत समेत नई तकनीकों का लाभ उत्तराखंड व आसपास के राज्यों के लोगों को मिल रहा है।

डॉ. घनशाला ने कहा कि अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरणों के साथ अनुभवी विशेषज्ञों वाले ग्राफिक एरा अस्पताल में प्रोफेशनलिज्म के साथ अपनेपन के अहसास को जोड़ा गया है। छोटे बच्चों को पेस मेकर लगाने, दिल के छेद का उपचार, नई तकनीक से हार्ट के वाल्ब बदलने, जापान की तकनीक पोयम के जरिये 25 से अधिक लोगों की अवरुद्ध आहार नली खोलने, आहार नली के कैंसर का बिना चीरा लगाए उपचार करने आदि के कारण ग्राफिक एरा अस्पताल लोगों के विश्वास से जुड़ गया है। चेयरमैन ने मीडिया से कहा कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों के लोगों को त्वरित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है। इसके लिए जल्द ही ग्राफिक एरा अस्पताल में एयर एंबुलेंस की सुविधा होगी। इससे पहाड़ के लोगों को काफी सहूलियत होगी और समय रहते गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।

चेयरमैन डॉ. घनशाला ने कहा कि पिछले चार वर्षों से देश के सर्वश्रेष्ठ 100 विश्वविद्यालयों में जगह पाने वाली ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में देश भर में 55वीं रैंक दी थी। इसी के एक अंग के रूप में स्थापित ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भी टॉप पर ले जाने के लिए कार्य किया जा रहा है। डीम्ड यूनिवर्सिटी सीधे केंद्र के नियंत्रण में होने के कारण ग्राफिक एरा के मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की सीटों का आवंटन सेंट्रल काउंसलिंग के जरिए केंद्र सरकार की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी करेगी। डॉ. कमल घनशाला ने मेडिकल कालेज के रूप में मिली मान्यता को उत्तराखंड की उपलब्धि करार देते हुए इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का आभार जताया।

साउथ अफ्रीका से लाैटकर आई ब्रेन हैमरेज की शिकार दो माह की बच्ची की ग्राफिक एरा अस्पताल ने बचाई जान

ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने नई तकनीकों से ऐसे रोगी की भी जान बचा ली, जिसे दिल्ली से जवाब देकर लौटा दिया गया था। दो महीने की यह बच्ची ब्रेन हैमरेज होने पर साउथ अफ्रीका से आई थी। ग्राफिक एरा अस्पताल के निदेशक डॉ. पुनीत त्यागी ने बताया कि दो माह की इस बच्ची की हालत बहुत बिगड़ने पर कुछ दिनों पहले दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से जवाब देकर उसे वापस भेज दिया गया था। हताश होने के बावजूद उसके परिजन बच्ची को ग्राफिक एरा अस्पताल ले आए। यहां विशेषज्ञों ने जी-जान लगाकर बच्ची को बचा लिया। अब जल्द ही वह डिस्चार्ज होने वाली है। डॉ. त्यागी ने बताया कि इसी तरह जन्म के समय 900 ग्राम वजन वाले शिशु को ग्राफिक एरा के विशेषज्ञों ने सुरक्षित बचा लिया है।

40 बच्चों के दिल के छेद और हार्ट वाल्ब का सफल ऑपरेशन

छोटे बच्चों को पेस मेकर लगाने, दिल के छेद का उपचार, नई तकनीक से हार्ट के वाल्ब बदलने, जापान की तकनीक पोयम के जरिये 25 से अधिक लोगों की अवरुद्ध आहार नली खोलने, आहार नली के कैंसर का बिना चीरा लगाये उपचार करने आदि के कारण ग्राफिक एरा अस्पताल लोगों के विश्वास से जुड़ गया है। अस्पताल में कुछ ही माह में 40 बच्चों के दिल के छेद और हार्ट का वाल्ब खराब होने के ऑपरेशन राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के तहत किए गए हैं। अस्पताल में बाईपास सर्जरी और विभिन्न ऐसे जटिल ऑपरेशन सफलता के साथ किए जा रहे हैं, जिनके लिए लोगों को पहले दिल्ली या दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था।

नई तकनीक से बिना चीरा लगाए आहार नली के कैंसर का इलाज

हाल ही में देहरादून निवासी एक 60 वर्षीय बुजुर्ग को आहार नली के कैंसर की पुष्टि होने पर थोरेकोस्कोपिक तकनीक से बिना चीरा लगाये उपचार किया गया। नई टेक्नोलॉजी के जरिये इस जटिल चिकित्सा को आसान बना देने वाली ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों की इस टीम में डॉ. सचिन अरोड़ा, डॉ. दयाशंकर राजगोपालन और डॉ. कुलदीप सिंह यादव शामिल हैं।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह

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