जयपुर, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । विधानसभा में प्रश्नकाल और
शून्यकाल की कार्यवाही के बाद गुरुवार से बजट पर बहस शुरू हुई। बजट पर अब गुरुवार, शुक्रवार, सोमवार और मंगलवार को चार दिन बहस होगी। मंगलवार को बहस का सरकार की तरफ से जवाब आएगा।
विधानसभा
की कार्य सलाहकार समिति ने 29 जुलाई तक विधानसभा का कामकाज तय कर दिया है।
29 को विधानसभा में राजस्थान का बजट पास होगा। 17 जुलाई को विधानसभा नहीं
चलेगी। 18 जुलाई से
अलग-अलग विभागों की अनुदान मांगों पर बहस होगी। हर दिन बहस के बाद मंत्री
बहस का जवाब देंगे। आठ दिन तक विधानसभा में अलग अलग विभागों की अनुदान
मांगों पर बहस होगी।
प्रश्नकाल के दौरान
भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण में
देरी सरकार को घेरा। वहीं, श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार
जनसंख्या नियंत्रण की बात करती है, वहीं ऐसे क्षेत्रों में कम जनसंख्या का
हवाला देते हुए सड़क-हॉस्पिटल भी नहीं बनाती है। प्रश्नकाल
के दौरान कांग्रेसी विधायकों ने मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के महिला
अत्याचारों को लेकर दिए जवाब पर भी हंगामा किया। मंत्री ने दावा किया कि
पिछले छह महीने में महिला अत्याचारों के केसों में कमी आई है।
शून्यकाल
में बीजेपी विधायक जेठानंद व्यास ने प्राइवेट बिजली कंपनियों की मनमानी का
मामला उठाया। व्यास ने बीकानेर में बीकेसीएसल पर मनमानी का आरोप लगाते हुए
जनता को परेशान करने का आरोप लगाया। ऊर्जा
मंत्री हीरालाल नागर ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। स्पीकर वासुदेव देवनानी
ने कहा कि टाटा पावर अजमेर में बदमाशी कर रही है, उसके खिलाफ भी बहुत सी
शिकायतें हैं, उस पर भी कार्रवाई कीजिए।
विधानसभा
में बजट पर बहस के दौरान राजाखेड़ा से कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने
केंद्र से पहले राज्य का बजट पेश करने पर सवाल उठाए। बोहरा ने कहा कि राज्य
सरकार को बजट पेश करने की ऐसी भी क्या जल्दी थी, कम से कम केंद्र सरकार का
बजट तो पहले आने देते। आपका 46 फीसदी रेवेन्यू जीएसटी और केंद्रीय करों से
आता है, उसमें आप कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र
सरकार कोई योजना शेयरिंग वाली लेकर आई तो आप पैसा कहां से दोगे। आपको
केंद्र के बजट का इंतजार करना चाहिए था। इस बजट को देखकर लगता है कि सरकार
की कोई इच्छा शक्ति नहीं है। यह बजट दिशाहीन है, आम आदमी को इससे गहरी
निराशा हुई है।
बोहरा
ने कहा कि समय पर लोन चुकता करने वाले किसानों का लोन घटा दिया है। ग्रामीण
विकास का बजट 1000 करोड़ रुपए घटा दिया है। 650 करोड़ की शहरी मनरेगा 350
करोड़ की कर दी और आप वाहवाही की उम्मीद कर रहे हो। राजस्थान में इस बजट से
कोई विकास नहीं होगा। एमनेस्टी के नाम पर सरकार खेल
कर रही है। भरतपुर और श्रीगंगानगर में पेट्रोल-डीजल की रेट में 1.90 रुपए
का अंतर है। सरकार का वित्तीय प्रबंधन पटरी से उतर चुका है। पीडब्ल्यूडी,
जेजेएम के ठेकेदारों का भुगतान नहीं हुआ ट्रेजरी बंद पड़ी हैं। सरकार के पास
पैसा नहीं है। 1.10 लाख करोड़ की आपने गारंटी कैसे दे दी? सड़कें स्वीकृत
की है बजट में, यह तो केंद्र का पैसा है, गुड़ राज्य सरकार खा रही है।
नेता
प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि पूरे प्रदेश में बिजली को लेकर हाहाकार
मचा हुआ है। बिजली नहीं आ रही है। स्पीकर ने कहा कि यह समस्या पुरानी है।
ऊर्जा मंत्री नागर ने कहा कि प्राइवेट बिजली कंपनियों की मनमानी की शिकायतों
की कमेटी बनाकर जांच करवाएंगे, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करेंगे। बीकानेर
की जो फ्रेंचाइजी कंपनी है, उसको पीपीपी मोड पर 2017 से बीकानेर में बिजली
का काम दिया हुआ है। इस कंपनी को पहले भी नोटिस दिया जा चुका है कि अपने
काम में सुधार करें। जुलाई में ही नोटिस दिया गया है अगर फिर भी सुधार की
संभावना नहीं है और राजनीतिक दबाव से कोई काम हो रहा है और कंपनी ठीक से
काम नहीं कर रही है तो हम उसके खिलाफ एक्शन लेंगे।मंत्री ने कहा कि एक कमेटी बनाकर उनकी जांच कराई जाएगी। कंपनी 2017 से काम कर
रही है, कंपनी को जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप करना चाहिए था, वह नहीं किया।
चारों जगह प्राइवेट कंपनी काम कर रही है। अजमेर, कोटा, भरतपुर और बीकानेर
में प्राइवेट कंपनियों को बिजली वितरण का काम दिया था, चारों जगह जांच
करवाई जाएगी। कमियों को ठीक करवाएंगे और राजनीतिक आधार पर लगे लोगों को
हटवाएंगे। जरूरत होगी तो हम उस पर कार्रवाई करेंगे।प्राइवेट बिजली कंपनियों का मामला उठने पर बीजेपी विधायक जेठानंद व्यास ने
बीकानेर में बीकेसीएसल पर मनमानी का आरोप लगाते हुए जनता को परेशान करने
का आरोप लगाया। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कार्रवाई का आश्वासन
दिया। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि टाटा पावर अजमेर में बदमाशी कर रही
है, उसके खिलाफ भी बहुत सी शिकायतें हैं, उस पर भी कार्रवाई कीजिए। शून्यकाल
में मामला उठाते हुए बीजेपी विधायक जेठानंद व्यास ने कहा कि बीकानेर की
बीकेसीएल कंपनी में जो कर्मचारी लगे हुए हैं, वो कांग्रेस सरकार के पूर्व
मंत्री के रिश्तेदार हैं। बीजेपी राज आने के बाद वह लगातार पूरी जनता को
डिस्टर्ब कर रहे हैं, ताकि लोग भाजपा का विरोध करें और कहे कि कांग्रेस राज
में लाइट नहीं जाती थी और अब लाइट लगातार जा रही है, यह उनका पूरा प्रयास
है।व्यास
ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व मंत्री के रिश्तेदारों ने बीकेसीएल में ठेके ले
रखे हैं। यह एमओयू में है कि जब एक घंटे से ऊपर लाइट जाती है तो कंपनी को
जनरेटर के माध्यम से बिजली देनी चाहिए, लेकिन बीकेसीएल कंपनी नहीं दे पा
रही है। 10-10 घंटे शहर में बिजली चली जाती है, मेरे पास ऐसे कई मैसेज आए,
जिनमें क्षेत्र में बिजली नहीं होने के बावजूद भी कंपनी ने कोई व्यवस्था
नहीं की। विजिलेंस का तरीका गलत है। जिस घर में दो
व्यक्ति रहते हैं, वहां सुबह 6:00 बजे मीटर उखाड़ कर ले जाते हैं, उसमें भी
पूर्व मंत्री आदमी शामिल है और फिर कहते हैं हमें ऊपर से आदेश हैं।
विजिलेंस जब जाए तो वहां सरकारी आदमी साथ होना चाहिए। विजिलेंस के नाम पर
लोगों को परेशान कर रहे हैं। हमें डिस्टर्ब करने का प्रयास किया जा रहा है।
कंपनी से आग्रह है कि वह राजनीति नहीं करें और जो राजनीतिक लोग उसमें
शामिल है या तो उनको हटाए या समझाएं। ये लोग आम जनता के साथ राजनीति नहीं
करें। बीकेसीएल कंपनी एमओयू के हिसाब से सही नहीं चल रही, उसके खिलाफ
कार्रवाई होनी चाहिए ।
राज्य सरकार नियमित रूप से छात्रसंघ चुनाव करवाएं और इन पर लगी रोक हटाई जाए। यह युवाओं की भावना है।
प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने हॉस्पिटल, स्कूल खोलने के जनसंख्या के मापदंडों पर सवाल उठाए। स्वास्थ्य
मंत्री ने कृपलानी के सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में निंबाहेड़ा जिला
अस्पताल का प्रसव भार अनुसार मैटरनिटी बेड ऑक्युपेंसी रेट 48.44 प्रतिशत
है जो कि तय मापदंड 70 प्रतिशत से कम है, इसलिए निम्बाहेड़ा जिला अस्पताल
में मातृ-शिशु स्वास्थ्य केंद्र मंजूर किया जाना विचाराधीन नहीं है। मंत्री
के जवाब पर कृपलानी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार जनसंख्या नियंत्रण की बात
करती है। दूसरी तरफ आप कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में शिशु स्वास्थ्य
केंद्र नहीं खोल रहे हो। सरकार चाहती क्या है? हम स्कूल खुलवाने जाएं तो आप कहते हो बच्चों की संख्या इतनी होनी चाहिए। अगर सड़क बनाने जाएं तो 2000 की आबादी होनी चाहिए, हम अस्पताल खुलवाने के लिए जाएं तो इतनी आबादी होनी चाहिए। विधायक रविंद्र भाटी ने कहा कि इस सदन में अनेक विधायक छात्रसंघ राजनीति से आए हैं। छात्र संघ चुनाव जरूरी हैं और यह समय की मांग है। प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने हॉस्पिटल, स्कूल खोलने के जनसंख्या के मापदंडों पर सवाल उठाए। स्वास्थ्य
मंत्री ने कृपलानी के सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में निंबाहेड़ा जिला
अस्पताल का प्रसव भार अनुसार मैटरनिटी बेड ऑक्युपेंसी रेट 48.44 प्रतिशत
है जो कि तय मापदंड 70 प्रतिशत से कम है, इसलिए निम्बाहेड़ा जिला अस्पताल
में मातृ-शिशु स्वास्थ्य केंद्र मंजूर किया जाना विचाराधीन नहीं है। मंत्री
के जवाब पर कृपलानी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार जनसंख्या नियंत्रण की बात
करती है। दूसरी तरफ आप कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में शिशु स्वास्थ्य
केंद्र नहीं खोल रहे हो। सरकार चाहती क्या है? हम स्कूल खुलवाने जाएं तो आप कहते हो बच्चों की संख्या इतनी होनी चाहिए। अगर सड़क बनाने जाएं तो 2000 की आबादी होनी चाहिए, हम अस्पताल खुलवाने के लिए जाएं तो इतनी आबादी होनी चाहिए।कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी और कांग्रेस राज में महिला अपराधों की तुलना के मंत्री के जवाब से नाराज होकर हंगामा किया। कांग्रेस
विधायकों का आरोप था कि मंत्री का जवाब एकतरफा था। मंत्री खींवसर ने
इंदिरा मीणा के जवाब के दौरान विधायक हरिमोहन शर्मा से कहा कि जवाब तो
सुनना पड़ेगा। पता नहीं आप बीच में क्यों कूद रहे हैं। इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा की सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। कुछ देर बाद कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। विधानसभा में महिला अत्याचारों से जुड़े सवाल को लेकर मंत्री के जवाब पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया। कांग्रेस
विधायक इंदिरा मीणा के सवाल के जवाब में मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने
कांग्रेस और भाजपा राज्य के अपराधों के आंकड़ों की तुलना शुरू की तो
कांग्रेस के विधायकों ने आपत्ति की। इस पर सदन में तनातनी का माहौल
बन गया। मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि पिछले छह महीने में महिला
अत्याचार की घटनाओं में कमी आई है। कांग्रेस राज की तुलना में हमारे समय में महिला अत्याचार छह फीसदी कम हुए हैं।
छबड़ा से भाजपा विधायक प्रताप सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांव में सड़क नहीं बनने को लेकर मंत्री के जवाब पर सवाल उठाए। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट सिंघवी ने कहा कि जिस गांव को वन विभाग में बताया जा रहा है वह गांव उसे कैटेगरी में आता ही नहीं है। छबड़ा
विधानसभा के जयसिंहपुर गांव में सड़क नहीं बनने को लेकर ने कहा कि
पिछली कांग्रेस सरकार ने भी इसी तरह के जवाब दिए थे और इन गांव में सड़क
नहीं बनाई।
मंत्री मंजू बाघमार करने कहा कि वन विभाग की जमीन होने
के कारण छबड़ा क्षेत्र के इन गांव में सड़क नहीं बनी है, वन विभाग की
मंजूरी की कोई समय सीमा नहीं है। इस पर भाजपा विधायक ने नाराजगी जताते हुए कहा की सड़क नहीं बनने का कारण साफ करना चाहिए। बीजेपी विधायक कुलदीप धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस राज में कई योजनाओं में
घपले हुए। जल जीवन मिशन में जिस तरह से कांग्रेस राज के दौरान घपला हुआ,
उसकी अभी जांच चल रही है। यह जांच अगर सही दिशा में आगे बढ़ी और ऐसे ही
चलती रही तो कांग्रेस के कई नेता आगे आने वाले दिनों में जेल में होंगे।
कांग्रेस राज में बजट के दौरान की गई घोषणाएं जमीन पर नहीं उतरीं।
(Udaipur Kiran) / रोहित