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यासिन मलिक के केस से दिल्ली हाई कोर्ट के जज ने खुद को अलग किया

दिल्ली हाई कोर्ट।

नई दिल्ली, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए जा चुके यासिन मलिक को फांसी की सजा की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की मांग पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। यह मामला जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच में लिस्टेड था। इस बेंच के सदस्य जस्टिस अमित शर्मा ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। अब अगली सुनवाई 9 अगस्त को उस बेंच के समक्ष लिस्ट होगी, जिस बेंच के सदस्य जस्टिस अमित शर्मा नहीं होंगे।

जस्टिस अमित शर्मा ने 2010 में एनआईए के अभियोजक के रूप में काम किया था। इस वजह से उन्होंने इस केस की सुनवाई से खुद को अलग किया है। हाई कोर्ट ने एनआईए की याचिका पर 29 मई 2023 को यासिन मलिक को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने यासिन मलिक के ऊपर लगे आरोपों को सही पाया था। उन्होंने कहा था कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे। यह कानूनी रूप से सही नहीं है। उन्होंने कहा था कि एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगड़ने की कोशिश की।

मेहता ने कहा था कि वह लगातार सशस्त्र विद्रोह कर रहा था। वो सेना के जवानों की हत्या में शामिल रहा। कश्मीर को अलग करने की बात करता रहा। क्या यह दुर्लभतम मामला नहीं हो सकता । मेहता ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले मे मौत की सजा का भी प्रावधान है। ऐसे अपराधी को मौत की सजा मिलनी चाहिए।

मेहता ने कहा था कि यासिन मलिक वायुसेना के चार जवानों की हत्या में शामिल रहा। उसके सहयोगियों ने तत्कालीन गृहमंत्री की बेटी रुबिया सईद का अपहरण किया। उसके बाद अपहरणकर्ताओं को छोड़ा गया। रिहा किए अपहर्ताओं ने बाद में मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम दिया। उल्लेखनीय है कि 25 मई 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग केस में यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी ।

10 मई 2022 को यासिन मलिक ने अपना गुनाह कबूल किया था। 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना की गई।

हाफिद ने कॉन्फ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। गृह मंत्रालय को यह सूचना मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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