RAJASTHAN

राजस्थान में 8341.5 मेगावाट क्षमता की इकाइयों से किया गया 7066 मेगावाट उत्पादन

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जयपुर, 11 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के विद्युत गृहों ने शुक्रवार को अब तक का उच्चतम 7066 मेगावाट विद्युत उत्पादन करते हुए उपलब्धि हासिल की है। उत्पादन निगम की 7330 मेगावाट क्षमता की 22 थर्मल इकाइयों ने शुक्रवार को सर्वाधिक 6792 मेगावाट का विद्युत उत्पादन हासिल किया। निगम की गैस आधारित 600.5 एवं जल विद्युत आधारित 411 मेगावाट क्षमता की इकाइयों से 274 मेगावाट का विद्युत उत्पादन किया गया।

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है। उनके दिशा-निर्देशन में कार्य करते हुए बेहतर रखरखाव, कुशल वार्षिक अनुरक्षण तथा श्रेष्ठ संचालन के कारण विद्युत उत्पादन ने यह सफलता हासिल की है। नागर ने आशा प्रकट की है कि भविष्य में भी इसी प्रकार बेहतर प्रदर्शन करते हुए निगम प्रदेश के विद्युत उत्पादन में अपना विशिष्ट योगदान देता रहेगा।

नागर ने कार्यभार संभालते ही सूरतगढ़, कोटा एवं झालावाड़ थर्मल तथा रामगढ़ गैस आदि विद्युतगृहों के दौरे में निगम प्रबन्धन को विद्युत गृहों की तकनीकी खामियों को दूर करने के निर्देश दिए थे। इसके पश्चात् रामगढ़ स्थित गैस टरबाइन की इकाई संख्या दाे से पुनः उत्पादन शुरु करवाया गया। यह इकाई तकनीकी खामियों के कारण दिसंबर 2021 से बंद पड़ी थी।

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि निगम ने 8341.5 मेगावाट की संचालित इकाइयों से यह उच्चतम विद्युत उत्पादन किया है जो कि 28 जनवरी 2023 को पूर्ववर्ती सरकार के समय प्राप्त किये गए। 6641 मेगावाट के सर्वोच्च विद्युत उत्पादन से लगभग 425 मेगावाट अधिक है। यह जुलाई 2000 को निगम के गठन के बाद से भी अब तक की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है। वर्तमान में 7580 मेगावाट क्षमता की 23 इकाइयों में से 22 इकाइयों से उत्पादन किया जा रहा है। सूरतगढ़ थर्मल की 250 मेगावाट क्षमता की इकाई संख्या तीन वार्षिक रखरखाव के कारण फिलहाल बन्द है।

राज्य सरकार के दिशा निर्देशानुसार उत्पादन निगम प्रबंधन द्वारा निरन्तर प्रयास करते हुए चरणबद्ध तरीके से निगम की इकाइयों का उचित रखरखाव एवं तकनीकी खामियों को दूर किया गया। इसके फलस्वरूप पीक डिमांड के समय इकाइयों से होने वाले विद्युत उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इकाइयों का चरणबद्ध तरीके से उचित रखरखाव एवं तकनीकी खामियों का निवारण कर सुपर क्रिटिकल प्लांटों से बिजली उत्पादन में औसतन 250 मेगावाट बढ़ोतरी के साथ-साथ कोल खपत में भी कमी की गई। फलस्वरूप, अब तक 18 इकाइयों का उचित रखरखाव एवं तकनीकी सुधार कर लिया गया है तथा एक इकाई के रखरखाव का कार्य प्रक्रियाधीन है। इस प्रकार वर्तमान में पीक डिमांड को पूरा करने के लिए इकाइयों को 85 प्रतिशत यूटिलाइजेशन फैक्टर के साथ संचालित किया जा रहा है ।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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