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भोपाल, 13 फरवरी (Udaipur Kiran) । यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो के एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिरों की दिव्य आभा में 51वां खजुराहो नृत्य समारोह 20 से 26 फरवरी तक आयोजित किया जायेगा। खजुराहो स्थित कंदरिया महादेव मंदिर एवं देवी जगदंबा मंदिर के मध्य मंदिर प्रांगण में आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय नृत्य समागम में इस वर्ष कई नए आयाम तथा अनुषांगिक गतिविधियां जोड़ी गई हैं। विशेष रूप से सभी प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्यों यथा कथक, भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, ओडिसी आदि के साथ सबसे लम्बा वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन (रिले) प्रस्तुति की जा रही है, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करने का प्रयास रहेगा।
यह जानकारी गुरुवार को संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने गुरुवार को जनजातीय संग्रहालय में आयोजितत पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह के मंच को बहुत ही सम्मान और आदर के साथ देखा जाता है। यहां प्रस्तुति करना किसी भी नृत्य कलाकार के लिए गर्व की बात होती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए 51वें खजुराहो नृत्य समारोह में होने वाली गतिविधियों को विस्तार एवं व्यापकता देने का प्रयास किया गया है, ताकि नृत्य के साथ ही अन्य कला माध्यमों के भी विभिन्न पहलुओं का आस्वादन कलाप्रेमी कर सकें।
संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि 51वां खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारम्भ 20 फरवरी को सायं 6:30 बजे मुख्यमंत्री की उपस्थिति में होगा। इस अवसर पर मध्य प्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार अलंकरण समारोह भी आयोजित किया जाएगा। समारोह में नृत्य प्रस्तुतियां प्रतिदिन सायं 6:30 बजे से प्रारम्भ होंगी।
नाद : भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत में उपयोगी वाद्यों की प्रदर्शनी
प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि भारतीय लोक एवं नृत्य-संगीत में विभिन्न प्रकार के वाद्यों का प्रयोग किया जाता है। अलग- अलग अंचलों, क्षेत्रों और परंपराओं में विशेष वाद्यों का प्रयोग होता है, जिनकी बनावट, ध्वनि इत्यादि लोगों को आकर्षित करती है। संगीतप्रेमी वाद्ययंत्रों के बारे में जान सकें, उन्हें देख सकें इसी उद्देश्य के साथ खजुराहो नृत्य समारोह में इस वर्ष संस्कृति विभाग द्वारा संकलित 600 से अधिक वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी नाद भी लगाई जाएगी। इसमें भारतीय लोक, जनजातीय एवं शास्त्रीय संगीत में उपयोग किए जाने वाले वाद्ययंत्र सम्मिलित होंगे। कई वाद्ययंत्र दुर्लभ भी होंगे।
चित्र कथन : नृत्योत्सव का सजीव चित्रांकन
51वें खजुराहो नृत्य समारोह में देहगति, भाव, मुद्राओं का सौंदर्य और भव्यता सिर्फ मंच पर ही नहीं, बल्कि कैनवास पर भी प्रदर्शित होगी। देश के ख्यातिलब्ध 10 चित्रकार खजुराहो नृत्य समारोह के मंच पर होने वाली नृत्य प्रस्तुतियों को रंग और कूची की सहायता से कैनवास पर सजीव चित्रण करेंगे। इन चित्रकारों में पद्मश्री शान्ति देवी, राजेश श्याम, एल. रजनीकांत सिंह, कुडलयया महंतयया हीरेमठ, किशन सोनी, डॉ सुनील विश्वकर्मा, महेश कुमार कुमावत, श्याम पुंडलिक कुमावत, रघुवीर, सुभाष पवार शामिल हैं। एक ओर खुले आसमान के नीचे मंदिर की आभा में नृत्य का सौंदर्य दिखेगा, तो वहीं दूसरी ओर कैनवास पर इसे अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ देखा जा सकेगा। इस गतिविधि को रचनात्मक के साथ अकादमिक बनाने का प्रयास भी किया गया है। इसमें संस्कृति विभाग के सभी ललित कला महाविद्यालयों के अध्यनरत छात्र-छात्राएं भी सहभागिता करेंगे। इस अवसर पर मध्य प्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार में चयनित चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन भी होगा।
सृजन, हुनर और स्वाद
51वें खजुराहो नृत्य समारोह को भव्यता और विविधता देने के उद्देश्य से सृजन, हुनर और स्वाद गतिविधियों का आयोजन भी किया जायेगा। ताकि जो सुधिजन पधार रहे हैं वे नृत्य के साथ—साथ भारतीय कलाओं के विभिन्न आयामों को भी जान व समझ सकें। सृजन गतिविधि में पारंपरिक शिल्प निर्माण तकनीक का प्रदर्शन होगा, जिसमें मिट्टी, पत्ता, बांस, गोबर, लाख, गोदना इत्यादि के उपयोग से कई तरह के शिल्पों का सृजन होता दिखेगा। वहीं, हुनर गतिविधि में पारंपरिक शिल्पों का प्रदर्शन और विक्रय भी होगा। स्वाद गतिविधि में विभिन्न प्रकार के देशज व्यंजनों का आनंद सुधिजन ले सकेंगे।
कलावार्ता : कलाविदों एवं कलाकारों के मध्य संवाद
51वें खजुराहो नृत्य समारोह में पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष लोकप्रिय संवाद सत्र ”कलावार्ता” आयोजित किया जाएगा। इस सत्र के विषय खजुराहो के मंदिरों पर केंद्रित होंगे, क्योंकि इस वर्ष मंदिरों के एक हजार वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इनमें मंदिरों की स्थापत्य कला, संगीत-नृत्य और खजुराहो के मंदिरों का सम्बन्ध प्रमुख होंगे। इन विषयों पर एकाग्र संवाद के लिए कथक नृत्यांगना रजनी राव, दिल्ली और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पुरातत्वविद डॉ. शिवकांत बाजपेयी, डॉ. ओपी मिश्रा, डॉ. नारायण व्यास, डॉ. रमेश यादव एवं प्रो. शिवकांत द्विवेदी कलाकारों से संवाद हेतु पधारेंगे।
आदिवर्त संग्रहालय के दूसरे चरण का लोकार्पण
संस्कृति विभाग ने 20 फरवरी को ‘आदिवर्त‘ जनजातीय लोककला एवं राज्य संग्रहालय, खजुराहो के पहले चरण में मध्यप्रदेश की सात प्रमुख जनजातियों क्रमशः गोंड, बैगा, भील, भारिया, कोरकू, कोल एवं सहरिया के जीवन उपयोगी वस्तुओं और उसके देवलोक को आकर्षक ढंग से निर्मित कराकर लोकार्पित किया गया है। हमारा दूसरा चरण भी अब तैयार हो गया है। इसमें मध्यप्रदेश के पाँच सांस्कृतिक जनपदों क्रमशः मालवा, निमाड़, चंबल, बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड के जीवन को अभिव्यक्त करते उनके घर, घरेलू वस्तुएँ और लोक देवता ही प्रदर्शित किये गये हैं। ‘आदिवर्त’ संग्रहालय को देखने आने वाला देशी और विदेशी पर्यटक प्रदेश की समृद्ध संस्कृति की एक झलक यहाँ अनुभव कर सकेंगे। इस अवसर पर गुरुकुल के लिए प्रस्तावित आवासों का लोकार्पण भी किया जाएगा।
मध्य प्रदेश पर्यटन की गतिविधियां
खजुराहो मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जहां वर्षभर लाखों पर्यटक पधारते हैं। कई पर्यटक खजुराहो की पर्यटन यात्रा कुछ इस तरह बनाते हैं कि उन्हें पर्यटन के साथ खजुराहो नृत्य समारोह भी देखने को मिल जाए। इसलिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इस वर्ष समारोह के दौरान स्काई डाइविंग – एमपीटी पायल रिसोर्ट खजुराहो, हॉट एयर बैलून, कैम्पिंग-पन्ना, विलेज टूर – पुराना खजुराहो गाँव, ई-बाईक टूर-खजुराहो मंदिर, सेगवे टूर – खजुराहो, वॉटर स्पोर्ट्स-कुटनी जैसी रोमांचकारी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
विश्व का सर्वश्रेष्ठ नृत्य उत्सव खजुराहो नृत्य समारोह
खजुराहो नृत्य समारोह 1974 में आरम्भ हुआ। वर्तमान रूप की कल्पना सन् 1975 में हुई। तब से लगातार यह समारोह विस्तार पाता रहा। इसकी कीर्ति दिग-दिगन्त फैली। स्थिति यह है कि यह विश्व के श्रेष्ठ समारोहों में गिना जाता है। इसमें भाग लेने वाले नृत्यकार अपनी सम्पूर्ण रचनात्मक क्षमताओं को यहां नि:शेष करते हैं। विदेशों से आने वाले नृत्यप्रेमी-दर्शक समारोह की प्रतीक्षा करते हैं। वे यात्रा कार्यक्रम इस तरह बनाते हैं कि वे खजुराहो समारोह के दर्शक बन सकें। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की संस्कृति नीति को यह श्रेय जाएगा कि इसने इतने आयामी समारोह की संरचना की है।
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की संगम स्थली
खजुराहो नृत्य समारोह के प्रतिष्ठित मंच को भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की संगम स्थली कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है। नृत्य कलाकारों की असाधारण प्रतिभा और उत्कृष्ट प्रदर्शन का ही परिणाम है कि खजुराहो नृत्य समारोह नृत्य संसार के गगन पर सबसे चमकदार तारे के रूप में सुशोभित है। इन नृत्य कलाकारों में रुकमनी देवी अरुंडले, बिरजू महाराज, केलुचरण महापात्रा, पं. कार्तिक राम, सितारा देवी, मृणालिनी साराभाई, यामिनी कृष्णमूर्ति, सोवना नारायण, पद्मा सुब्रमण्यम, सोनल मानसिंह, पं. रामलाल, गुरु शंकर होम्बल सहित अनेक नाम सम्मिलित हैं। साथ ही उत्तर-पूर्वी राज्यों के मणिपुरी एवं सत्रिया नृत्य के सुप्रसिद्ध कलाकार सुन्दर और मनमोहक प्रस्तुतियों के साथ नृत्य के इस कुंभ में आते रहे हैं। विगत वर्ष इस समारोह के स्वर्ण जयंती उत्सव में 1486 कथक नृत्य कलाकारों ने एक साथ नृत्य प्रस्तुत कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रचा था। यह रिकॉर्ड न सिर्फ एक रिकॉर्ड था, बल्कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ नृत्य समारोह होने का प्रमाण पत्र भी था। खजुराहो नृत्य समारोह का मंच जहां एक ओर स्थापित नृत्य कलाकारों की अभूतपूर्व प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध है, तो वहीं दूसरी ओर युवाओं और असाधारण प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है।
(Udaipur Kiran) तोमर
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