चंडीगढ़, 21 जून (Udaipur Kiran) । जेलों में सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने शनिवार को जेल स्टाफ में विभिन्न कैडरों के 500 रिक्त पदों को भरने की मंजूरी दी है।
इस संबंध में निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पंजाब सिविल सचिवालय में उनके कार्यालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिमंडल ने जेल विभाग, पंजाब में सीधी भर्ती कोटे के तहत सहायक सुपरिडेंट, वार्डर और मैट्रन के 500 रिक्त पदों की भर्ती को सहमति दे दी है। इस भर्ती में 29 सहायक सुपरिडेंट, 451 वार्डर और 20 मैट्रन शामिल होंगे, जिनका चयन पंजाब अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जिससे जेलों में सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह कदम जेलों के कामकाज को और सुचारू बनाने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षित बनाने में सहायक होगा।औद्योगिक प्लांटों के आवंटन और उप-विभाजन के लिए व्यापक नीति को मंजूरी
मंत्रिमंडल ने पी.एस.आई.ई.सी. की ओर से प्रबंधित औद्योगिक
अस्टेटों में औद्योगिक प्लांटों के आवंटन और उप-विभाजन के लिए एक व्यापक नीति को भी मंजूरी दी ताकि भूमि का उपयोग अधिक कुशलता से किया जा सके। यह नीति उद्यमियों और प्लांट मालिकों के साथ-साथ प्रमुख औद्योगिक संगठनों, जिनमें कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई), मोहाली चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड आईटी और मोहाली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन शामिल हैं, की मांगों को पूरा करती है।
यह छोटे औद्योगिक प्लांटों, विशेष रूप से आईटी और सेवा क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करती है, ताकि भूमि के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके, निवेश आकर्षित किया जा सके और प्लांट आवंटन और उप-विभाजन के लिए एक संरचित, पारदर्शी तंत्र स्थापित किया जा सके।
यह नीति भूमि के कुशल उपयोग की सुविधा देती है, संचालन दक्षता को बढ़ाती है और औद्योगिक भागीदारों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करके परियोजना विस्तार का समर्थन करती है।मंत्रिमंडल ने पी.आर.टी.पी.डी. अधिनियम की धारा 29 (3) में संशोधन की भी मंजूरी दे दी है, जिसके तहत मुख्य सचिव पंजाब को अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (ए.यू.डी.ए.), नई ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा), मेरठ, कानपुर, लखनऊ और अन्य की तर्ज पर प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पहले मुख्यमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष थे, लेकिन उनके व्यस्तताओं के कारण कई बार प्राधिकरणों का काम प्रभावित होता था। इस दौरान विकास प्राधिकरणों में राजस्व, उद्योग, जल आपूर्ति और स्वच्छता और अन्य विभागों को शामिल करने का भी निर्णय लिया गया।
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(Udaipur Kiran) शर्मा
