अजमेर, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बुधवार सुबह रीजनल कॉलेज के सामने आनासागर के भराव क्षेत्र में बने समारोह स्थल, रेस्टोरेंट, होटल, शराब का ठेका सहित 39 दुकानों को सीज कर दिया।
प्राधिकरण के उपायुक्त भरत राज गुर्जर का कहना रहा कि भू रूपांतरण कराए बगैर व्यावसायिक गतिविधियां हो रही थी। किसी भी निर्माण का मानचित्र भी स्वीकृत नहीं है। पूर्व में इन सभी को नोटिस दिए गए थे, लेकिन अधिकांश व्यक्तियों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। गुर्जर ने कहा कि सभी प्रतिष्ठानों पर नियमानुसार कार्रवाई की गई है। जिन प्रतिष्ठानों को सीज किया गया उनमें वृंदावन रेस्टोरेंट, अर्जुन की दुकानें, ब्लैक एंड व्हाइट शोरूम, शराब का ठेका, मोटर गैराज, लेकव्यू होटल, तड़का रेस्टोरेंट आदि शामिल हैं। गोविंदम समारोह स्थल में कुछ लोग कमरों में रह रहे थे, इसलिए फिलहाल सीज का नोटिस चस्पा किया गया है। कमरे खाली होते ही इस समारोह स्थल को भी सीज कर दिया जाएगा। एक साथ 39 व्यावसायिक संस्थानों को सीज हो जाने से शहर में हड़कंप मच गया है। दीपावली से पूर्व ऐसी कार्रवाई होने से व्यापारी वर्ग में भी निराशा है। आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के दम पर एडीए ने अपना बल दिखाया है जबकि कई व्यवसायियों के पास उच्च न्यायालय के आदेश थे।
सीज हुए प्रतिष्ठानों के वकील दिलीप शर्मा का कहना है कि एडीए की कार्यवाही हाईकोर्ट की अवमानना है। गत 23 सितंबर को एडीए के उपायुक्त भरतराज गुर्जर ने प्रार्थना पत्र दायर कर कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि तोडफ़ोड़ की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। प्राधिकरण की ओर से यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। पूर्व में जो नोटिस दिए गए उसके लिए भी प्राधिकरण की ओर से माफी मांगी गई। एडवोकेट शर्मा ने कहा कि एक और प्राधिकरण हाईकोर्ट से माफी मांग रहा है तो दूसरी ओर सुबह सुबह सीज की कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर को जो ताजा नोटिस दिया गया उसको लेकर भी हाईकोर्ट में 23 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही प्राधिकरण ने सीज की कार्रवाई कर दी। जबकि 22 अक्टूबर की रात को ही यूडीएच के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया, जिला कलेक्टर लोकबंधु, एडीए की आयुक्त नित्या के तथा वकील अजय सिंह को हाईकोर्ट के स्टे आदेश वाट्सएप पर भेज दिया गया था। प्राधिकरण की इस कार्रवाई पर अब हाईकोर्ट का ध्यान आकर्षित किया जाएगा। जिन अधिकारियों ने हाईकोर्ट के स्टे के बाद सीज की कार्रवाई की है उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। सीज की कार्रवाई राजस्व मंडल के वकील मुकेश दाधीच के भूखंड पर भी की गई है, जबकि इस भूखंड पर कोई निर्माण नहीं हो रहा है। एडीए ने खाली भूखंड के दरवाजे को सीज किया है।
सेवन वंडर का क्या?:
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत आनासागर के भराव क्षेत्र में ही सेवन वंडर की इमारतें भी बनाई गई है। अब इन इमारतों को देखने के लिए शुल्क लिया जाता है। प्रशासन ने शुल्क वसूली का ठेका भी दे दिया है। प्राधिकरण ने जब होटल, रेस्टोरेंट आदि को कॉमर्शियल गतिविधि मानते हुए सीज कर दिया है, तब सवाल उठता है कि सेवन वंडर की इमारतों का क्या होगा? क्या सेवन वंडर में हो रही कमर्शियल गतिविधियों को भी बंद करवाया जाएगा। मालूम हो कि सेवन वंडर की इमारतों को तोड़ने का आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देखा रखा है। एनजीटी ने इन इमारतों को नियम विरुद्ध माना है। एनजीटी के आदेश के खिलाफ अजमेर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर रखी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट को प्रशासन को अभी तक भी कोई राहत नहीं मिली है। एनजीटी के आदेश के बाद भी इन इमारतों को नहीं तोड़ा जा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / संतोष