बीकानेर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । भैरव साधक छोटू ओझा स्मृति में रमक झमक में चल रहे भैरव तुम्बड़ी महोत्सव के चौथे दिन ‘भैरव तुम्बड़ी’ अलंकरण सम्मान’ आयोजित किया गया। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया कि इस 10 वें तुम्बड़ी अलंकरण समारोह में अहमदाबाद, लुधियाना, कोलकात्ता, श्रीगंगानगर सहित सियाणा धाम, बीकानेर के भैरव मंदिरों के पुजारियों, साधकों, भैरव प्रतिमा का श्रृंगार करने वालों, पौराणिक भैरव भजन गायकों, भैरव फिल्म व एलबम निर्माताओं सहित देश के 37 भैरव भक्तों को भैरव तुम्बड़ी अलंकरण से अलंकृत किया गया। सम्मानितों को अलंकरण पत्र, स्मृति चिन्ह, भैरव तुम्बड़ी पुस्तक, श्रीफल एवं रमक झमक ओपरणा दिया गया। समारोह के शुभारंभ में वरिष्ठ पुजारी ईश्वर सिंह सांखला के साथ सभी भैरव मंदिरों के पुजारियों ने भैरवनाथ की सामूहिक आरती की एवं भैरुंनाथ से सभी के लिये सामूहिक प्रार्थना की।
इनको दिया अलंकरण/सम्मान
मनोज शास्त्री, श्याम सिंह, राजकुमार गहलोत, ईश्वर सिंह सांखला, अनिल रामावत, रेवन्त सिंह सांखला, धीर सिंह राठौड़, देवी सिंह सांखला, दुले सिंह सांखला, भंवर ओझा, गिरिराज देरासरी, जयकिशन भादाणी, राजू छंगाणी, लक्ष्मण पारीक, श्रीमती राजकुमारी मारू, श्रीमती अनिता मोहता, महावीर सिंह, भैरुं रतन छंगाणी, पवन अग्रवाल, जय नारायण जोशी, अशोक रंगा, सत्यनारायण जोशी, संजीव कुमार व्यास, कालीचरण ओझा, श्रीमती ओझा, महेश छंगाणी, श्रीमती आशा आचार्य, इंदु वर्मा, प.आशीष भादाणी एवं अशोक सिंह।
ये थे अतिथि स्वागतकर्ता
रामदेव मन्दिर गौशाला के अधिष्ठाता संत भावनाथ महाराज, उप महापौर राजेन्द्र पंवार, समाज सेवी जुगल किशोर ओझा, रतना महाराज, वरिष्ठ हार्ट सर्जन डॉ सर्वेश शर्मा एवं रमक झमक की वरिष्ठ श्रीमती रामकंवरी ओझा बतौर अतिथि मौजूद रहे। वहीं स्वागतकर्ताओं में मिसेज बीकाणा आशा आचार्य, खनिज विभाग की अधिकारी अर्चना पाण्डे, शिवानी शर्मा, पीताम्बर खत्री, डिम्पल हेमन्त सोनी एवं रोहित मिश्रा शामिल रहे।
रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने अतिथियों का मोतियों की माला व ओपरणा पहनाकर सत्कार किया। अभिनन्दन समारोह का संयोजन कवि बाबू बम्ब चकरी ने किया। उन्होंने सभी सम्मानितों का परिचय देते हुए बीच-बीच में कविताएं शेयर शायरी भी सुनाई। समारोह के समापन से पूर्व रमक झमक की ओर से प्रेम रतन छंगाणी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उप महापौर राजेन्द्र पंवार ने मेले मगरियों के महीने में ऐसे ‘तुम्बड़ी अलंकरण’ को अनूठा बताया। संत भावनाथ महाराज ने तुम्बड़ी को पूरा संसार बताते हुवे इसकी महिमा बताई।
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(Udaipur Kiran) / राजीव