हरिद्वार, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । सतयुग में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को अपने कंधों पर कांवड़ में बैठाकर चारधाम की यात्रा कराई थी। ऐसा ही कुछ कलयुग में देखने को मिला है। जहां तीन भाई अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा करा रहे हैं। हरियाणा के भिवानी के तीन भाई अपने माता-पिता को कंधों पर बिठाकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं।
सोमवार से सावन माह शुरू हो रहा है। इसके साथ ही कांवड़ यात्रा का भी आगाज हो जाएगा, लेकिन उससे पहले ही हरिद्वार की सड़कों पर सैकड़ों की तादाद में कावंड़िए हरकी पैड़ी से गंगाजल भर अपने गंतव्य की ओर जाते दिखाए दे रहे हैं। ऐसे ही हरियाणा के भिवानी के तीन भाई अपने माता-पिता को कंधों पर बिठाकर ले जाते दिखे।
हरियाणा के भिवानी से आए अशोक और उसके दो भाई मिलकर अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर अपने कंधों पर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। कांवड़ यात्रा कर रहे अशोक का कहना है कि सतयुग के श्रवण कुमार भी एक इंसान ही थे, इसलिए वो भी अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार बनकर दिखाना चाहते हैं। भगवान भोले की मर्जी के अनुसार ही वह अपने माता-पिता को अपने कंधों पर कांवड़ यात्रा करा रहे हैं।
अशोक और उसके दोनों भाई माता-पिता को कांवड़ यात्रा कराने से बेहद खुश हैं तो वहीं उनके माता-पिता भी अपने बच्चों के इस कार्य से बेहद खुश दिखाई दिए। उनकी माता अपने बच्चों को ढेर सारा आशीर्वाद दे रही थीं तो वहीं उनके पिता अपने बेटों की ओर से किए जा रहे इस काम की तारीफ करते दिखे।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह