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जौनपुर में राजा यादवेंद्र दत्त की मनायी गयी 25वीं पुण्यतिथि

राजा यादवेंद्र दत्त की मनाई गई पुण्य तिथी
राजा यादवेंद्र दत्त

उत्तर प्रदेश, 9 सितंबर जौनपुर (Udaipur Kiran) । राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर में स्व. राजा यावदेन्द्र दत्त दुबे की 25वीं पुण्यतिथि सोमवार को राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के नव निर्वाचित प्रबंधक सत्यराम प्रजापति व प्राचार्य

डाॅ.शम्भू राम, ने राजा साहब के प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

जौनपुर रियासत के ग्यारहवें राजा की हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत के साथ विज्ञान व ज्योतिष पर पकड़ रही। भारतीय जनसंघ व भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से वह एक रहे। चार बार विधायक, नेता विरोधी दल व दो बार सांसद चुने गये । राजनीति के पुरोधा व जौनपुर के राजा यादवेंद्र दत्त दुबे की आज पुण्यतिथि है। नौ सितंबर 1999 को प्रातः 9 बजे इस दुनिया में अपने नश्वर शरीर को छोड़कर जाने वाले इस राजनीतिज्ञ को दो दशक से अधिक समय हो गए हैं, लेकिन आज भी उनकी यादें लोगों के बीच ताजा हैं।

वे जौनपुर रियासत के 11 वें व अंतिम राजा थे। वह राजनीति के ऐसे धुरंधर थे,जो अपनी बुद्धिमत्ता व कौशल के दम पर शीर्ष पर पहुंचे। वे हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत धारा प्रवाह बोलते थे तो विज्ञान, ज्योतिषी की भी अच्छी जानकारी रखते थे। वह जनसंघ व भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। चार बार विधायक व दो बार सांसद चुने गए। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में नेता विरोधी दल भी रहे। उनकी राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि उनके सामने अटल बिहारी वाजपेयी सम्मान में बैठते तक नहीं थे। पं.दीनदयाल उपाध्याय ने 1963 का उपचुनाव उनकी हवेली में एक माह रूककर लड़ा था। इनका संबंध आरएसएस के बड़े प्रचारकों से रहा, जिनका अक्सर यहां आना-जाना लगा रहता था। राजा यादवेंद्र दत्त के करीबी रहे व वर्तमान में राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डा.अखिलेश्वर शुक्ला ने बताया कि एक बार लोकसभा में राजा साहब अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर बोल रहे थे, उनकी वाकपटुता को पूरा सदन एकाग्रता से सुन रहा था। उनका समय समाप्त होने पर लोकसभा अध्यक्ष ने उनको रोकना शुरू किया। इस पर अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवानी ने अपना समय लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह करके दिला दिया। उसी समय कांग्रेस नेता स्टीफेन ने टोका-टाकी शुरू कर दी तो राजा साहब ने उनको भोजपुरी भाषा में समझाते हुए कहा कि तोहार उमर चालीस होई आई, अवै न गई तोहार लरिकाई। इस पर पूरे सदन में ठहाका लगना व ताली बजना शुरू हो गया। महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने राजा साहब की पुरानी यादों के माध्यम से उनको याद करके अपनी श्रद्धांजलि दी।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र कुमार मिश्र

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