सिलीगुड़ी, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तर बंगाल में बंद चाय बागानों की संख्या बढ़ने लगी है। फिलहाल, पहाड़, डुआर्स और तराई में कुल 25 उद्यान बंद हैं। इसमें से नौ चाय बागान पिछले तीन महीने में बंद हो चुके हैं।
समस्या सबसे ज्यादा देश के चाय उद्योग के प्रतीक कहे जाने वाले दार्जिलिंग के साथ है। इस साल पूजा बोनस को लेकर सात चाय बागान बंद हो गए है। इस साल का प्रोडक्शन सीजन 30 नवंबर से खत्म होने जा रहा है। सर्दियों के मौसम के दौरान बंद बागान खुलेंगे या नहीं इसे लेकर संक्षय बना हुआ है।
वर्तमान में बागान बंद होने की सूची में अलीपुरद्वार जिले के ढेकलापाड़ा, लंकापाड़ा, रामझोड़, दलमोर, कलचीनी, रायमातंग, दलसिंगपारा, तोर्शा और महुआ शामिल हैं। अलीपुरद्वार जिले में बंद बागानों की कुल संख्या फिलहाल नौ है। जलपाईगुड़ी जिले के रायपुर और सोनाली चाय बागान बंद हैं। जबकि पहाड़ में धोतेरिया, रंगमुक देवदार, मुंडाकोठी, नागेरी, चोंगटोंग, पानीघाटा, अंबुटिया, सिंगतम, रिंगटोंग, पांडम, पेशाक, सुमक, कुमाई और लॉन्गव्यू बागान बंद है। पहाड़ में कुल मिलाकर 14 चाय बागान बंद है।
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भेजकर बंद बागानों पर हस्तक्षेप की मांग की है। दार्जिलिंग तराई-डुवार्स प्लांटेशन लेबर यूनियन के महासचिव सूरज सुब्बा ने कहा, हजारों पहाड़ी श्रमिक खतरे में हैं। मालिकों को बार-बार कहा जाता है कि समस्या कोई भी हो, चर्चा के लिए रास्ता खुला रखें।
भारतीय टी वर्कर्स यूनियन के चेयरमैन और अलीपुरद्वार के सांसद मनोज तिग्गा ने कहा, चाय बागानों के प्रति राज्य सरकार का रवैया हमेशा उदासीन रहा है। बंद चाय बागानों की संख्या बढ़ने से वे चिंतित है।
तृणमूल चाय बागान श्रमिक यूनियन की केंद्रीय कमेटी के चेयरमैन नकुल सोनार ने कहा कि इस बार सरकार चाय बागान की समस्याओं की पहचान कर उसका हल करेगी।
वहीं, यूनियनों का दावा है कि कुछ बागान ऐसे हैं जो खुलने के बाद दो से तीन साल तक नए मालिकों के अधीन चल रहे हैं। उन्हें भूमि के पट्टे नहीं मिले हैं। परिणामस्वरूप उन बागानों के भी बंद हो जाने का खतरा है।
(Udaipur Kiran) / सचिन कुमार