Maharashtra

ठाणे जिले में अदालतों के लंबित 2330मामले आपसी सहमति से हल 

Court panding cases Thane resolved with mutual consent

मुंबई 10दिसंबर (Udaipur Kiran) । ठाणे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ठाणे में मध्यस्थता प्रक्रिया जागरूकता शिविर आज ठाणे में जिला न्यायालय में आयोजित किया गया। शिविर में इस मुद्दे पर प्रसन्नता व्यक्त की गई जिला अदालतों के 2330मामले आपसी सहमति से ही हल कर लिए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, मुंबई एवं . मुख्य मध्यस्थता केंद्र, उच्च न्यायालय, बॉम्बे, साथ ही प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीनिवास अग्रवाल निर्देशन में आज मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ठाणे की तरफ से विधि सेवा सदन, ठाणे जिला न्यायालय में मध्यस्थता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था । उक्त शिविर में मुख्य वक्ता के रूप में. जिला न्यायाधीश जी जी भंसाली, ठाणे जिला वकील संघ के उपाध्यक्ष सलिल भुटाला के साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के . सचिव महोदय, कार्यक्रम ईश्वर सूर्यवंशी की उपस्थिति में हुआ।इस शिविर में पैनल वकीलों, मध्यस्थता वकीलों, सार्वजनिक रक्षकों, कानून के छात्रों और ठाणे जिले के अन्य नागरिकों ने भाग लिया। उक्त शिविर का शुभारम्भ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नवलसा द्वारा नालसा गीत एक मुट्ठी आसमा पर हक हमारा भी तो है के बाद किया गया।

इस जागरूकता शिविर में जिला विधि सेवा प्राधिकरण सचिव ईश्वर सूर्यवंशी ने बताया कि वर्ष 2021 से, ठाणे जिला अदालतों ने मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए 2295 लंबित मामलों और 35 मामलों को दायर करने से पहले कुल 2330 मामलों को मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से हल किया गया है, ।

जबकि दोनों पक्ष न्यायिक रिमांड के तहत जेल में थे और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आवेदक और प्रतियोगियों के बीच सफलतापूर्वक मध्यस्थता की और अकेले ही मध्यस्थता प्रक्रिया के महत्व और आवश्यकता को साबित किया। तत्पश्चात् मुख्य वक्ता के रूप में जिला न्यायाधीश, ठाणे जी जी भंसाली ने दर्शकों को मध्यस्थता पर मार्गदर्शन दिया। जैसे एलआईसी का आदर्श वाक्य है जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी, न्यायालय का आदर्श वाक्य भी हो सकता है जन्म से पहले भी, मरने के बाद भी, क्योंकि जन्म से पहले किसी व्यक्ति के किये जाने वाले चिकित्सीय परीक्षण आदि पर न्यायालय का प्रतिबंध है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी कार्यवाही पर न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है। साथ ही अपने ओरिएंटेशन भाषण में उन्होंने कहा कि वकील की वर्दी ही वकील की पहचान होती है क्योंकि मध्यस्थता प्रक्रिया में वकील मध्यस्थता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। अपने अनुभव का लाभ उठाकर, वकील मध्यस्थ मध्यस्थता प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संचालित कर सकते हैं।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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