नई दिल्ली, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 2022 में 15 साल की नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषी को 20 साल की कैद की सजा सुनाई है। एडिशनल सेशंस जज सुशील बाला डागर ने कहा कि सजा घृणित अपराध की गंभीरता के मुताबिक होनी चाहिए।
कोर्ट ने इस मामले की लचर जांच के लिए दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी पर कार्रवाई करने की भी सिफारिश की है। कोर्ट ने दोषी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत सजा सुनाई। मामला 05 मार्च 2022 का है। आरोपित ने 15 वर्षीय नाबालिग का अपहरण कर लिया था। आरोपित ने पीड़िता को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
कोर्ट ने कहा कि यौन अपराध का मनोवैज्ञानिक भय पीड़िता को जीवन भर पीछा करता रहेगा। इससे उसकी मानसिक और शारीरिक विकास पर भी असर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने पीड़िता को बहला-फुसलाकर ये बताने की कोशिश की कि वो आरोपित के साथ वैध शादी के बंधन में बंधने जा रही है। वो लड़की अपने वैध अभिभावकों के संरक्षण और पढ़ाई से भी दूर चली गई। ऐसे में आरोपित को मिलने वाली सजा उसके घृणित अपराध के मुताबिक होना चाहिए ताकि ऐसा करने वालों को एक सख्त संदेश पहुंचे।
कोर्ट ने इस मामले की लचर जांच करने वाले जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी आरोपित की पहली शादी के दस्तावेज एकत्र करने में विफल रहा। यहां तक कि जिस मंदिर में नाबालिग की शादी कराई गई वहां के रजिस्टर की भी जांच नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी की तमाम विफलताओं के बावजूद पीड़िता के बयान इतने पर्याप्त थे, जिसकी वजह से आरोपित को सजा मिली।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह / आकाश कुमार राय