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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वां संस्करण सम्पन्न 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध किया
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध किया
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध किया
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध किया

जयपुर, 3 फरवरी (Udaipur Kiran) । जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण का समापन शानदार तरीके से हुआ। दुनियाभर से लेखक, विचारक और कला एवं संस्कृति जगत की प्रसिद्ध हस्तियां एक मंच पर आईं। इस साल क्लार्क्स आमेर में आयोजित फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ताओं ने भाग लिया और विविध चर्चाओं, वाद-विवाद और प्रस्तुतियों से इसे समृद्ध किया। यह आयोजन स्थापित और उभरते साहित्यकारों के साथ उन लोगों को भी एक मंच पर लाने का माध्यम बना, जो साहित्य की प्रेरक और बदलाव लाने वाली शक्ति में विश्वास रखते हैं।

फेस्टिवल के आखिरी दिन ‘द रूट्स ऑफ़ रिदम रिमेन’ सत्र में संगीत निर्माता जो बॉयड ने अपनी किताब एंड द रूट्स ऑफ रिदम रिमेन पर चर्चा की। उन्होंने पश्चिमी संगीत पर वैश्विक प्रभावों और उनके इतिहास पर बात की।

उधर, ‘एम्पायर: उधम सिंह – द मैन एंड द मिथ’ सत्र में अनीता आनंद और विलियम डैलरिंपल ने जलियांवाला बाग हत्याकांड और उधम सिंह की न्याय की लंबी यात्रा पर अपने पॉडकास्ट ‘एम्पायर’ का लाइव प्रदर्शन किया। नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने ‘छौंक: भोजन, अर्थशास्त्र और सुरक्षा’ सत्र में खाद्य सुरक्षा और आर्थिक पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे सीमित संसाधनों से बेहतरीन व्यंजन और जीवन में संतुलन साधा जा सकता है।

‘जब वी मेट’ सत्र में इम्तियाज अली ने अपने निर्देशन और पटकथा लेखन के बीस वर्षों के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि सफलता और असफलता से परे अपने काम को बेहतर बनाने की निरंतर कोशिश ही महत्वपूर्ण है। समापन सत्र ‘पैसिफिज्म इज फॉर लूजर्स’ में पैनल ने युद्ध और शांति जैसे गंभीर विषयों पर गहन चर्चा की। वक्ताओं ने शांति और संघर्ष के दौर में अहिंसा की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किए।

वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुज़ुकी के सहयोग और वीआईडीए द्वारा संचालित इस फेस्टिवल का अगला संस्करण 15 से 19 जनवरी 2026 को आयोजित किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran)

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