-नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश,15 गिरफ्तार
नोएडा,04अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पुलिस ने सेक्टर-39 थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने कॉल सेंटर से जुड़े 15 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो एप्पल प्रॉडक्ट्स के ऑर्डर कैंसिल होने के नाम पर ठगी कर रहे थे। यह गिरोह अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बना रहा था। यह गिरोह विदेशी नागरिकों को फर्जी हेल्पलाइन नंबर जारी कर झांसे में लेकर उनके सिस्टम को हैक कर जानकारी हासिल करता था। इसके बाद उन्हें डॉलर, गिफ्ट कूपन और क्रिप्टोकरेंसी के रूप में भुगतान करने पर मजबूर किया जाता था।पुलिस ने मौके से 18 लैपटॉप, चार इंटरनेट राउटर, 24 मोबाइल फोन, तीन बाइक, तीन लग्जरी कार और 98 हजार रुपये नकद बरामद किए हैं।
एसीपी प्रवीण सिंह ने बताया कि ने पुलिस ने सेक्टर-100 स्थित एक इमारत पर छापा मारा। जहां यह फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहा था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया। जबकि गिरोह का सरगना फरार है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह गिरोह अब तक 300 से अधिक अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बना चुका है।
एसीपी ने बताया कि आरोपी वीओआईपी कॉल, टीएफएन और सॉफ्ट फोन का इस्तेमाल कर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे, जिससे पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों से बचा जा सके।
आरोपी डार्क वेब के माध्यम से विदेशी नागरिकों का डेटा हासिल करते थे। खासतौर पर उन लोगों का जिनके महंगे उत्पादों जैसे कि एप्पल प्रॉडक्ट्स के ऑर्डर कैंसिल हो जाते थे। इन नागरिकों को फर्जी ईमेल भेजे जाते थे, जिनमें अमेज़न और पेपाल जैसी कंपनियों के नाम से टेक सपोर्ट देने की बात की जाती थी। इसके अलावा एक फर्जी हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाता था, जिससे परेशान होकर ग्राहक कॉल करने पर मजबूर हो जाते थे। कॉल सेंटर के कर्मचारी वीओआईपी और टीएफएन तकनीक का इस्तेमाल कर विदेशी नागरिकों से संपर्क करते थे और उनके सिस्टम को एनीडेस्क जैसे सॉफ्टवेयर के जरिए नियंत्रित कर लेते थे। इसके बाद उन्हें रिफंड प्रक्रिया के नाम पर ठगी का शिकार बनाया जाता था।
आरोपी विदेशी नागरिकों की बैंक डिटेल्स का पता लगाकर उनकी हैसियत के हिसाब से ठगी करते थे। वे मदद के नाम पर बड़ी रकम गिफ्ट कूपन या क्रिप्टोकरंसी के रूप में वसूलते थे। जिसे बाद में भारतीय मुद्रा में बदल दिया जाता था। गिरफ्तार किए गए लोगों में से ज्यादातर कॉल सेंटर के कर्मचारी के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन सभी को ठगी की योजना की पूरी जानकारी थी और वे इसके बदले कमीशन भी लेते थे।
(Udaipur Kiran) / फरमान अली