HEADLINES

वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी बैठक में फिर हंगामा, विपक्ष के 10 सदस्य एक दिन के लिए निलंबित

Mamata Banerjee to introduce Waqf Bill in Assembly, Union Home Ministry seeks information

नई दिल्ली, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । वक्फ संशोधन विधेयक पर शुक्रवार को हुई संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में एक बार फिर हंगामा हुआ। हंगामा के चलते विपक्ष के 10 सदस्यों को समिति की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। विपक्ष के सदस्याें ने समिति पर उनका पक्ष न सुनने का आराेप लगाया, जबकि भाजपा ने विपक्ष के इन

सांसदों के व्यवहार काे संसदीय परंपराओं के खिलाफ बताया।

दरअसल, वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में आज और कल प्रस्तावित संशोधनों पर खंड-दर-खंड चर्चा हाेनी थी। इसके बाद संसद के बजट सत्र के दौरान अंतिम रिपोर्ट पेश होने की उम्मीद है। इसी बीच आज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक समिति से प्रतिनिधिमंडल के साथ मिले।

जेपीसी की बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य में जमकर कहासुनी हुई। समिति की कार्यवाही को हंगामे के चलते दो बार जबरन स्थगित करना पड़ा।विपक्ष के सांसदाें के हंगामा और नारेबाजी करने पर विपक्ष के 10 सदस्याें काे आज की शेष

कार्यवाही के लिए निलंबित कर दिया गया। समिति की कार्यवाही से निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल हैं।

विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि उन्हें वक्फ में संशोधन से जुड़े सुझावों पर अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है। उन्होंने इसके लिए विशेष रूप से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के सांसदों पर निशाना साधा। बैठक के दौरान कांग्रेस नेता नासिर हुसैन और बनर्जी समिति की बैठक से बाहर आए और समिति के बारे में पत्रकाराें से शिकायती लहजे में बात की।

पत्रकार वार्ता के दौरान तृणमूल नेता कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल विपक्षी सदस्यों के पक्ष को नहीं सुन रहे हैं और बैठक अघोषित आपातकाल की तरह चलाई जा रही है। अध्यक्ष बैठक को किसी की सुने बिना ही आगे बढ़ा रहे हैं।

बैठक में विपक्ष के हंगामा पर समिति के सदस्य व भारतीय जनता पार्टी नेता निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि विपक्ष के इन सांसदों का व्यवहार संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। असल में वे बहुमत के पक्ष को दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से औवेसी के कहने पर आज चर्चा के बजाये जम्मू-कश्मीर के मीरवाइज उमर फारूख को सुनने के लिए समय दिया गया। इसके बावजूद हंगामा किया। उन्होंने कहा कि आज विपक्ष के विचार उजागर हो गए हैं। उन्होंने एक हंगामा का माहाैल बनाया और मीरवाइज के सामने दुर्व्यवहार किया। जेपीसी में बोलने के लिए जब भी उन्हें माइक मिला। विपक्ष ने हमेशा उनकी आवाज का गला घोंटने की कोशिश की।

समिति के एक अन्य सदस्य व भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी का कहना है कि आज हम यहां दो पक्षों को सुनने आए थे, एक जम्मू-कश्मीर का संगठन था और दूसरा दिल्ली के वकीलों का संगठन था। संगठन के सदस्य इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कल्याण बनर्जी के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य हंगामा कर रहे हैं। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल के लिए असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। बैठक दो बार स्थगित हो चुकी है।

बैठक से पहले मीरवाइज उमर फारूक ने पत्रकाराें से कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की कई चिंताएं हैं जिन्हें हम आज जेपीसी के सामने रखने जा रहे हैं। हमारा मानना है कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, जिससे भाईचारे का माहौल खराब हो। इससे पहले आज ही समिति के अध्यक्ष पाल ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि एक अच्छी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। खंडों को अंतिम रूप से अपनाने के लिए एक बैठक 29 जनवरी को होगी। हम संसद बजट सत्र में ही रिपोर्ट पेश करेंगे।

इससे पहले 22 जनवरी को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के नेता ए राजा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से विपक्षी पार्टियों के सदस्यों की ओर से आज और कल आयोजित होने वाली बैठक को 30 से 31 जनवरी तक आगे बढ़ाए जाने के लिए पत्र लिखा था। राजा ने आज इस बात को दोहराया भी। उनका कहना है कि हाल ही में जेपीसी सदस्यों ने पटना, कोलकाता और लखनऊ में हितधारकों से उनकी राय जानने के लिए कल (21 जनवरी) को ही अपना टूर पूरा किया है। साथ ही वहां के हितधारकों को एक सप्ताह का समय दिया है कि वे अपने सुझाव लिखित तौर पर भेजें। इसके अलावा सदस्यों की अपने क्षेत्र से जुड़ी कुछ स्थानीय प्रतिबद्धताएं भी हैं जिन्हें हमें पूरा करना है।

—————

(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

Most Popular

To Top