Madhya Pradesh

 मप्र हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले में 87%-13% फार्मूला लागू करने वाले आदेश को किया खारिज

कलेक्टर पर लगाया हाईकोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना :  कलेक्टर-कमिश्नर का जिलाबदर करने का आदेश किया रद्द

जबलपुर, 28 जनवरी (Udaipur Kiran) । मप्र हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने मंगलवार काे ओबीसी आरक्षण के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के साथ ही प्रदेश में समस्त रुकी हुई भर्तियों को फिर से शुरु करने का मार्ग प्रशस्त होने के साथ ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका में 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आरक्षण संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। लेकिन हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया।

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह के अनुसार जिस याचिका के आदेश 4 अगस्त 2023 के अधीन 87-13 फॉर्मूला निर्धारित किया गया था। उस याचिका को आज उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया गया है। रामेश्वर सिंह ने कहा कि इसके कारण अब उन समस्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरु हो सकती है जिन्हें 13 प्रतिशत के दायरे में लेकर होल्ड कर दिया गया था। 4 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87%-13% का फार्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद प्रदेश की सभी भर्तियां ठप हो गई थीं। सरकार ने यह फार्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया था, जिसके तहत 87% सीटें अनारक्षित और 13% सीटें ओबीसी के लिए रखी गई थीं। इससे 27% ओबीसी आरक्षण की मांग करने वाले उम्मीदवारों में आक्रोश था।

हाईकोर्ट ने आज अपने फैसले में 4 अगस्त 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में रुकी हुई फिर से शुरु करने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से उन लाखों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, जिनकी भर्तियां कोर्ट के आदेश के चलते होल्ड पर थीं। ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह फैसला एक बड़ी जीत है

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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