
-असमिया जाति का पहला परिचय असमिया भाषा : अतुल बोरा
गुवाहाटी, 03 नवंबर (Udaipur Kiran) । असम सरकार ने 3 से 9 नवंबर तक भाषा गौरव सप्ताह मनाने का निर्णय लिया है। इस आयोजन का उद्देश्य असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलने के ऐतिहासिक क्षण को सम्मानित करना है।
इस अवसर पर आज कामरूप (मेट्रो) जिले के पांजाबारी स्थित श्रीमंत शंकरदेव अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षागृह में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेते हुए असम सरकार के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा, असमिया जाति की पहचान असमिया भाषा से ही है। उन्होंने बताया कि सदियों के अध्ययन और योगदान के कारण ही असमिया भाषा को यह विशेष मान्यता मिली है, जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 3 अक्टूबर को असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया।
मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि भाषा का सम्मान बनाए रखने के लिए हर असमिया को अपनी मातृभाषा के प्रति सजग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा के संरक्षण में सभी को मिलकर कार्य करना होगा, विशेषकर छात्रों के बीच असमिया संस्कृति के प्रचार-प्रसार और मातृभाषा के प्रति समर्पण का भाव विकसित करने की आवश्यकता है। शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू ने भी इस अवसर पर कहा कि असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने मात्र से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी को अपनी भाषा का महत्व समझते हुए इसे आगे बढ़ाना चाहिए।
असम सरकार की ओर से इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित साहित्यकारों और भाषाविदों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. सत्येंद्र नारायण गोस्वामी, डॉ. लीलावती सैकिया बोरा, डॉ. मंगल सिंह हाजवारी, तरेण चंद्र बोरो, डॉ. गोविंद प्रसाद शर्मा, डॉ. शैलेन भराली और प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक अपूर्व शर्मा प्रमुख हैं। इस अवसर पर असम प्रकाशन परिषद द्वारा प्रकाशित पुस्तक ध्रुपद असमिया का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम में गुवाहाटी की सांसद बिजुली कलिता मेधी, गुवाहाटी नगर निगम के महापौर मृगेन शरणिया, शिक्षा विभाग के सचिव नारायण कोंवर, उपाध्यक्ष सुमंत चालीहा, जिला अधिकारी परिजात भुइंया और कई अधिकारी, साहित्यकार तथा प्रशासक मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर
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