
मुरादाबाद, 08 जून (Udaipur Kiran) । मुरादाबाद जनपद में बीते एक दशक से आए दिन तेंदुओं के मामले सामने आ रहे है। यह तेंदुए उत्तराखंड के जंगल से नहीं आ रहे हैं, बल्कि रामगंगा किनारे उगी झाड़ियां और ग्रामीण क्षेत्रों में गन्ने की फसल ही इनका ठिकाना बना हुआ है। गन्ने की फसल कटने के बाद इनका आतंक बढ़ जाता है। मनुष्य हो यह पशु इनके आतंक का शिकार होने से बच नहीं पाते है। वहीं मुरादाबाद के जिला वन अधिकारी डिस्ट्रिक फारेस्ट आफीसर सूरज ने कहा कि वर्षों पहले उत्तराखंड के जंगलों से भटककर आए तेंदुओं ने गन्ने के खेतों और रामगंगा के किनारों को अपना ठिकाना बना लिया। गन्ने की फसल कटने के बाद महानगर से सटे क्षत्रों में भी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं।
मुरादाबाद जिले में वन क्षेत्र बहुत कम है। करीब 64 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र रामपुर रोड पर ट्रंचिंग ग्राउंड के पास रामगंगा नदी के किनारे है। इसमें 10 हेक्टेयर क्षेत्र में डियर पार्क और नर्सरी है। जिले में ठाकुरद्वारा का बॉर्डर उत्तराखंड के जिम कार्बेट और बिजनौर जिले के आरक्षित वनक्षेत्र अमानगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगा हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार उत्तराखंड में करीब 520.82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जिम कार्बेट पार्क और करीब 95 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में बड़ी संख्या में बाघ हैं। बाघों की अधिकता के कारण तेंदुए एक-डेढ़ दशक पहले ठाकुरद्वारा क्षेत्र में आ गए थे। उन तेंदुओं ने उस क्षेत्र में ही गन्ने के खेतों और नदी के किनारे उगी झाड़ियों को ठिकाना बना लिया। यहीं उनका कुनबा बढ़ा और आज वहीं तेंदुए आबादी क्षेत्र में घूम रहे हैं। उनके शावक मिल रहे हैं।
मुरादाबाद के जिला वन अधिकारी (डिस्ट्रिक फारेस्ट आफीसर) सूरज ने रविवार को बताया कि पिछले तीन महीने में पांच बयरक तेंदुए रेस्क्यू कर जंगल में छोड़े जा चुके हैं। शावक भी देखे जा रहे हैं। सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि वर्षों पहले भटककर आए तेंदुओं ने गन्ने के खेतों और रामगंगा के किनारों को अपना ठिकाना बना लिया। यहां उनका कुनबा बढ़ा और अब तेंदुओं की तीसरी पीढ़ी सक्रिय दिखाई दे रही है। गन्ने की फसल कटने के बाद ठाकुरद्वारा, कांठ, छजलैट व मुंडापांडे क्षेत्र के साथ शहर से सटे इलाकों में भी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल
