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 टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला में ए राजा व अन्य को बरी करने के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर 18 मार्च को अगली सुनवाई  

दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आज दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा और दूसरे आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर उसकी याचिका सुनवाई योग्य है। सीबीआई की इस दलील के बाद जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय जैन ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अर्जी सुनवाई योग्य है। अदालत चाहे तो सुनवाई की कई तिथियां तय कर सकती है या सुनवाई की तिथियों को तय करने के लिए एक तिथि नियत कर सकती है। उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को करने का आदेश दिया।

इसके पहले 22 मार्च 2024 को हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर अपील को स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने कहा था कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि सभी साक्ष्यों पर गहराई से पड़ताल की जरूरत है।

सीबीआई ने अपनी अर्जी में ए राजा समेत दूसरे आरोपितों को बरी करने के आदेश को चुनौती दी है। 23 नवंबर 2020 को जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच ने आरोपितों की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जरूरी स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से सीबीआई की अपील को खारिज करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में हुआ संशोधन उन मामलों पर लागू नहीं होता जो संशोधन के पहले के हैं। ये संशोधन पहले के कानून के काटने के लिए नहीं किए गए हैं। जस्टिस बृजेश सेठी ने कहा था कि सीबीआई को अपील दायर करने के स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि खुद स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर ने अपील दायर की है।

जस्टिस बृजेश सेठी के 30 नवंबर 2020 को रिटायर होने के बाद इस मामले को जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच के समक्ष लिस्ट किया गया।

इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था। हाई कोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया।

उल्लेखनीय है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेनदेन हुआ।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / पवन कुमार

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