जबलपुर, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । सिंगरौली में रेलवे के एक प्रोजेक्ट ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना पर भूमि अधिग्रहण घोटाले पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने इसे खुला भ्रष्टाचार करार देते हुए कलेक्टर को ब्याज सहित भुगतान के निर्देश दिए हैं। यहां जमीन का मालिक कोई और था और अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा हलफनामे के आधार पर किसी और को दे दिया गया। इस मामले में भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए इसे खुला भ्रष्टाचार करार दिया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने सिंगरौली कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि जिन भूमिस्वामियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें ब्याज सहित भुगतान किया जाए।
जमीन अधिग्रहण में अनियमितताओं का पर्दाफाश सिंगरौली के देवसर क्षेत्र में ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना के तहत अधिग्रहित भूमि के मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। इस मामले में चित्रा सेन ने शिकायत की थी कि कुछ लोगों को गलत तरीके से मुआवजा दिया गया, जबकि असली भूमिस्वामी आज भी भुगतान के लिए भटक रहे हैं। इस मामले में न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कलेक्टर को स्वयं उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे।
आपको बता दें कि रेल परियोजना के लिए चित्रा सेन की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन एक फर्जी एफिडेविट के आधार पर इसका मुआवजा दुर्गा शंकर द्विवेदी को दे दिया गया। सुनवाई में जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने कलेक्टर और भू-अर्जन अधिकारी पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने पाया कि न केवल मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी हुई, बल्कि पात्र लोगों के नाम ही सूची से गायब कर दिए गए और हलफनामे के आधार पर भूस्वामी की जगह किसी और को भुगतान किया गया। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि यह भुगतान हलफनामे के आधार पर दिया गया है। कोर्ट के सामने यह सच आया की अधिग्रहित की गई भूमि चित्र सेन की थी पर एक हलफनामे के नाम पर किसी दुर्गा द्विवेदी को इस भूमि का भुगतान कर दिया गया जो साफ-साफ फर्जीवाड़ा नजर आ रहा था। इस पर कोर्ट ने कलेक्टर को सख्त लहजे में फटकारते हुए कहा कि प्रशासनिक लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और असली भूमिस्वामियों को ब्याज सहित भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि इस भूमि अधिग्रहण घोटाले की गहराई से जांच हो और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का मामला है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक