Assam

जी किशन रेड्डी और पेमा खांडू ने अरुणाचल की पहली वैध कोयला खदान का किया उद्घाटन

अरुणाचल की पहली वैध कोयला खदान का उद्घाटन करते केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और मुख्यमंत्री पेमा खांडू

इटानगर, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को चांगलांग जिले में नामचिक-नाम्फुक कोयला खदान का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।

इस मौके पर चांगलांग जिले के खारसांग में आयोजित के सभा को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि यह पूर्वोत्तर में पहला वैध निजी वाणिज्यिक कोयला खनन कार्य है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश सरकार को बधाई दी और कहा कि यह परियोजना क्षेत्र के साथ-साथ राज्य में भी आर्थिक और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने इस परियोजना को अरुणाचल की आर्थिक यात्रा में एक ऐतिहासिक छलांग बताया, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। 1.5 करोड़ टन के अनुमानित भंडार वाली इस खदान से वार्षिक राजस्व में 100 करोड़ से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है।

मंत्री ने कहा, सभी वैधानिक और पर्यावरणीय मंज़ूरियां प्राप्त कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि रॉयल्टी, प्रीमियम और जिला खनिज निधि के अंशदान सहित प्राप्त राशि से राज्य और स्थानीय समुदायों, दोनों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि खनन वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा और स्थानीय मुद्दों का समाधान आपसी सहयोग से किया जाएगा।

रेड्डी ने कहा, पूर्वोत्तर के बिना भारत का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कोयला भारत की ऊर्जा आपूर्ति की रीढ़ बना हुआ है और देश के लगभग 74 प्रतिशत बिजली उत्पादन में कोयला ही योगदान देता है।

उन्होंनेकहा कि केंद्र ने पिछले एक दशक में बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए इस क्षेत्र में लगभग 6 लाख करोड़ का निवेश किया है। उन्होंने बताया कि महालक्ष्मी समूह द्वारा विकसित की जा रही इस बहुप्रतीक्षित परियोजना से अरुणाचल प्रदेश सरकार को अनुमानित 4,500 करोड़ का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने कहा कि यह उद्घाटन क्षेत्र के खनन क्षेत्र में विश्वास, पारदर्शिता और परिवर्तन के एक नए युग की शुरुआत करेगा।

मुख्यमंत्री खांडू ने यह भी रेखांकित किया कि अरुणाचल प्रदेश, जिसे कभी केवल भारत की पूर्वी सीमा माना जाता था, अब मोदी सरकार के तहत एक विकास केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने आगामी 2,500 किलोमीटर लंबे फ्रंटियर हाईवे और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम फेज़-II को सीमा संपर्क को बढ़ावा देने वाली प्रमुख परियोजनाओं के रूप में उद्धृत किया।

यह परियोजना राज्य में औद्योगिक विकास और रोज़गार को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी।

उन्होंने कहा, यह पहल न केवल राजस्व बढ़ाएगी, बल्कि हमारे युवाओं के लिए कौशल विकास, बुनियादी ढांचा और दीर्घकालिक रोज़गार भी लाएगी। हमें भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने पर गर्व है।

उपमुख्यमंत्री चौना मीन, लोकसभा सांसद तापीर गाओ तथा मंत्री गेब्रियल डी वांगसू, केंटो जिनी और वांगकी लोवांग भी समारोह में शामिल हुए।

(Udaipur Kiran) / तागू निन्गी

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