
देहरादून/ऋषिकेश, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर कहा कि युवा ही राष्ट्र की शक्ति और भविष्य हैं। जीवन की सच्ची सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने जारी एक संदेश में कहा कि आओ जागो, बदलो, गढ़ो और एक संस्कारवान, सशक्त विश्व का निर्माण करो। युवा केवल आज के नागरिक नहीं, बल्कि कल के निर्माता हैं। उनकी ऊर्जा, ज्ञान और संस्कार ही राष्ट्र की दिशा और दशा तय करते हैं। युवा शक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी है और इस पूंजी का सही निवेश तभी संभव है, जब इसमें सफलता के साथ संस्कार और सेवा का समावेश हो। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि आधुनिक ज्ञान और तकनीक के साथ सनातन मूल्य, संस्कृति और मातृभूमि से प्रेम अवश्य जोड़े। उन्होंने कहा कि जीवन का उद्देश्य केवल लेना नहीं, बल्कि देना भी है। जो हमने अपने गांव, अपनी धरती, अपने मूल्यों और अपने देश से पाया है, अब उसे लौटाने का समय है।
उन्होंने कहा कि भारत का हर युवा केवल करियर में नहीं, बल्कि चरित्र में भी ऊंचा हो। सफलता के साथ संस्कार और ज्ञान के नए भारत की पहचान होगी। भारत की संस्कृति ने हमेशा “वसुधैव कुटुम्बकम” का संदेश दिया है और आज की युवा पीढ़ी को इस भावना को विश्व तक पहुंचाना है।
युवा केवल समय का उपभोक्ता न बने,बल्कि समय का निर्माता बने।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
