Jharkhand

नशा के पेडलरों के किसी लालच में न आएं युवा : राजेश

डालसा के कार्यक्रम की तस्‍वीर

रांची, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में शनिवार को रांची के गेतलातू स्थित जी एन्ड एच हाई स्कूल में छात्र-छात्राओं के लिए नालसा स्कीम डॉन पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा, एलएडीसीएस डिप्टी चीफ राजेश कुमार सिन्हा, सीआईडी से रिजवान अंसारी, एनसीबी से आनंद, जी एन्ड एच स्कूल के शिक्षक, छात्र-छात्राएं सहित अन्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम में अतुल गेरा ने बताया कि नशा हमारे देश को खोखला कर रहा है। नशा से बचने के लिए छात्र-छात्राओं को जागरूक करना बेहद जरूरी है। नशा के पेडलर नवयुवक और छात्रों को इस व्यवसाय में आसानी से उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग्स से हमें सचेत रहना है और किसी भी तरह का ड्रग्स पेडलरों की लालच में नहीं आना चाहिए।

एलएडीसीएस डिप्टी राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को निर्देशित करता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा। सिन्हा ने कहा कि अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास और दो लाख रूपये के जुर्माने की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।

नशे की समस्या को रोकने मेंएनसीबी की भूमिका महत्वपूर्ण

एनसीबी के आनन्द ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते।

सीआईडी के रिजवान अंसारी ने मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित जानकारी दी और मादक पदार्थों की तस्करी में बच्चों और नवयुवकों को कैसे उपयोग में लिया जा रहा है, इससे बचने के लिए उन्होंने छात्रों को आगाह किया।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने कहा कि नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों के लिए नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम उम्र से ही शुरू हो जाती है। पुनर्वास केंद्रों की अधिक जनसंख्या उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak

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