सीवान, 20 जून (Udaipur Kiran) । बिहार में सीवान जिले के जसौली में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान जिले के युवा चित्रकार रजनीश कुमार मोर्य ने उन्हें सीवान की पारंपरिक मृणपात्र कला का हस्तनिर्मित प्रतीक भेंट कर स्वागत किया।
यह भेंट सीवान की सांस्कृतिक धरोहर और मिट्टी से जुड़ी कलात्मक पहचान का प्रतीक बनी। चित्रकार रजनीश ने बताया कि एक समय था जब सीवान की विशेष मिट्टी से बर्तन बनाने की कला ‘मृणपात्र’ के रूप में विख्यात थी। पारंपरिक विधियों के तहत मिट्टी को विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा तैयार कर, बड़े पात्रों में रखकर पकाया जाता था, जिससे बर्तन चमकदार, मजबूत और कलात्मक बनते। इसके बाद इन पर ज्यामितीय संरचनाओं की सहायता से पक्की पेंटिंग की जाती थी। इसमें सबसे लोकप्रिय मिट्टी की सुराही थी।
पटना के म्यूजियम में आज भी है संरक्षित
सीवान की पहचान यहां की मिट्टी के बने बर्तनों से थी। आज भी पटना के म्यूजियम में सीवान की बनी हुई मिट्टी के बर्तन संरक्षित है। ऐसा माना जाता है कि यह कला बड़े-बड़े व्यक्ति, राजाओं को उपहार स्वरूप भेंट करने के लिए प्रचलित था। मुगल काल में ईरान–फारस तक यहां के मृणपात्र जाते थे। अंग्रेजी सरकार ने भी इसे खूब प्रोत्साहित किया।
रजनीश ने (Udaipur Kiran) से बातचीत में कहा कि ब्रिटेन में भी सीवान का मिट्टी का सुराही जाता था। लेकिन बाद के समय में यह पारम्परिक कला विलुप्त होती चली गई। सीवान के चित्रकार रजनीश ने गहन अध्ययन कर इस विलुप्त विद्या को पुन: स्थापित करने का राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किया। उनकी मेहनत रंग लायी। आज उन्होंने प्रधानमंत्री को यह पुरातन उपहार देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
पीएम मोदी ने की रजनीश की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चित्रकार रजनीश से टेराकोटा कला के बारे में जानने की जिज्ञासा जताते हुए बनाने की विधि और समय पूछा। इसके साथ ही उन्होंने इसे आगे ले जाने की शुभकामनाएं भी दी। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी रजनीश की कलाकृतियों की तारीफ किया।
उल्लेखनीय है कि आराध्य चित्रकला के संस्थापक चित्रकार रजनीश मौर्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ऐसे कई अनोखे उपहार दिए हैं। समय के साथ लगभग विलुप्त हो चुकी इस कला को चित्रकार रजनीश ने पुनर्जीवन के लिए प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री को यह पुरातन भेंट देकर उन्होंने सिवान की लुप्तप्राय विरासत को पुनः राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है।
इतिहासकार डा. कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने वर्ष 2015 ममें पचरूखी प्रखंड के पपौर एवं 2018 में जीरादेई प्रखंड के तितिरा बंगरा के तीतीर स्तूप का परीक्षण व उत्खनन किया। जिसमें प्रचूर मात्रा में टेराकोटा से बने साक्ष्य मिले थे। इसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भी किया था। कृष्ण कुमार ने बताया कि केपी जयसवाल शोध संस्थान पटना के सर्वे एवं परीक्षण में भी इसकी पुष्टि
की गयी है।
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(Udaipur Kiran) / दीनबंधु सिंह
