
योग अब अभियान बने, केवल आयोजन नहीं — डॉ. मंजू सिंह
राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर वेबिनार का आयोजन
झांसी, 20 जून (Udaipur Kiran) । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी में आज राष्ट्रीय सेवा योजना (रासेयो) के तत्वावधान में “योग: आंतरिक शांति से विश्व शांति और स्वस्थ जीवन की ओर एक सतत कदम” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारियों, विशेषज्ञों, रासेयो पदाधिकारियों तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसके पश्चात कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ज्योति मिश्रा ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन करते हुए वेबिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की।
कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि “योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि यह एक समग्र जीवन पद्धति है जो मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित कर हमें आत्मिक शांति प्रदान करता है। यही आंतरिक शांति आगे चलकर विश्व शांति की आधारशिला बनती है।”
मुख्य अतिथि डॉ. मंजू सिंह, विशेष कार्याधिकारी एवं राज्य संपर्क अधिकारी, रासेयो उत्तर प्रदेश शासन ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की रासेयो इकाइयों द्वारा पूर्व में आयोजित योग कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि हम योग को केवल औपचारिकता के रूप में न देखें, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए संगठित प्रयास करें। योग शिविरों को विश्वविद्यालय परिसरों से निकालकर गोद लिए गए ग्रामों तक पहुंचाया जाना चाहिए।”
विशिष्ट अतिथि समरदीप सक्सेना, क्षेत्रीय निदेशक, रासेयो उत्तर प्रदेश ने कहा कि “डिजिटल युग में वेबिनार जैसे माध्यम अत्यंत प्रभावी हैं। योग विषयक ऑनलाइन कार्यक्रमों से हम युवाओं को जोड़कर इसे एक जनांदोलन का रूप दे सकते हैं।” उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान योग के प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि योग ने कई लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त किया।
शास्वत अतिथि प्रो. मुन्ना तिवारी, अधिष्ठाता, कला संकाय ने अपने वक्तव्य में योग दर्शन को भारतीय जीवन शैली का मूल बताया। उन्होंने कहा कि “पतंजलि के ‘योगसूत्र’ में वर्णित अष्टांग योग— यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि— व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है।
मुख्य वक्ता डॉ. उपेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि “योग शारीरिक एवं मानसिक संतुलन बनाए रखता है और मानवता को शांति तथा सद्भाव का संदेश देता है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति स्वस्थ और जीवन से परिपूर्ण हो सकता है।”
डॉ. राजीव बबेले ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सूर्य नमस्कार सभी योगासनों में श्रेष्ठ है। “यह अभ्यास शरीर को निरोगी और तेजस्वी बनाता है।
राजबहादुर सिंह, कुलसचिव एवं रासेयो समन्वयक ने योग को जीवन में संतुलन का आधार बताया। उन्होंने कहा कि “मनुष्य भौतिकता की दौड़ में आत्मिक संतुलन खो चुका है, जिसे पुनः प्राप्त करने का एकमात्र उपाय योग है।”
प्रो. सी. बी. सिंह, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग,डॉ. कपिल शर्मा, रासेयो नोडल अधिकारी, डॉ. ओ. पी. चौधरी (ललितपुर), डॉ. शाबिहा रहमानी (बांदा), डॉ. संतोष पांडेय (झांसी) सहित अन्य वक्ताओं ने भी योग पर सारगर्भित वक्तव्य दिए और इसके सामाजिक, शैक्षिक व मानसिक पक्षों पर विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर डॉ. श्वेता पांडेय, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. सुरेंद्र यादव (जालौन), डॉ. शालिनी (हमीरपुर), डॉ. भुवनेश्वर मस्तानिया, डॉ. मुकेश खरे, डॉ. वर्षा साहू, डॉ. मेराज खान, डॉ. शिल्पी राय, डॉ. प्रीति निगम, डॉ. मिली भट्ट तथा बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. शुभांगी निगम, कार्यक्रम अधिकारी, इकाई तृतीय, द्वारा किया गया तथा आभार ज्ञापन डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी, कार्यक्रम अधिकारी, इकाई षष्ठम, द्वारा किया गया।
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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया
