
इंगलैड में फहराया देश का झंडा, परिजनों में खुशी का माहौल
पिता चलाते है आटो रिक्शा व मां साधारण गृहणी
रोहतक, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । एक समय था जब बेटियों व महिलाओं को जो मान सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाता था, लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे बेटियां व महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। प्रदेश व देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर विदेशों में देश का झंडा फहरा रही है। हाल ही में गढ़ी सांपला किलोई हलके के गांव रूडकी निवासी मीनाक्षी हुड्डा ने 48 किग्रा भार वर्ग में विश्व मंच पर भारत का परचम लहराया है। मीनाक्षी ने कजाकिस्तान की 3 बार की विश्व चैम्पियन नाजिम काइजेबे को रोमांचक मुकाबले में 4-1 के विभाजित निर्णय से हराकर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
मीनाक्षी एक साधारण परिवार से है और उसके पिता श्रीकृष्ण हुड्डा आटो रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण करते है, जबकि मां सुनीता देवी साधारण गृहणी है। मीनाक्षी चार भाई बहनों में सबसे छोटी है। मां ने बताया कि जब बेटी ने बॉक्सिंग की शुरूआत की तो आसपास के लोग ताने मारते थे कि यह बेटी के बस की बात नहीं है, लेकिन परिजनों ने बेटी को बेटों की तरह पाला और उसे आगे बढने के लिए प्रेरित किया। परिजनों का कहना है कि बेटियां बेटो से कम नहीं है और आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है, बस जरूरत इतनी है कि बेटियों को आगे बढना का मौका मिलना चाहिए। मीनाक्षी ने विदेश में देश का तिंरगा लहरा कर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर बेटियों के लिए एक मिशाल पेश की है।
पिता श्रीकृष्ण हुड्डा ने बताया कि मीनाक्षी ने यह खिताब जीतकर परिवार का ही नहीं प्रदेश व देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। साथ ही उन्होंने बेटियों के प्रति सोच बदलने की भी लोगों से अपील की और कहा कि मां-बाप को हमेशा बेटा-बेटी में कोई फ्रक नहीं करना चाहिए और उनको जीवन में आगे बढने का अक्सर मौका देना चाहिए। हालांकि उन्होंने अफसोस भी जाहिर किया कि बेटी मीनाक्षी की इतनी ड़ी चैम्यिनशिप फाइट वह देख नहीं पाए, लेकिन उन्हें बड़ा गर्व है कि बेटी ने जो मुकाम हासिल किया है, वह अन्य बेटियों के लिए प्ररेणास्त्रोत है। बेटी मीनाक्षी की इस उपलब्धि पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है और परिवार को बंधाई देने वालों का भी तांता लगा हुआ है।
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(Udaipur Kiran) / अनिल
