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देश के लिए कार्य करना सभी का धर्म, इसी भावना से कार्य करे नई पीढ़ी: स्वांत रंजन

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्वात रंजन जी
संगोष्ठी के दौरान मचासीन अतिथि
मुख्य अतिथि अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  स्वात रंजन को स्मृति चिन्ह देते हुए कुलपति डॉ वंदना सिंह
संगोष्ठी हाल में बैठे शिक्षक और विद्यार्थि

–पूर्वांचल विश्वविद्यालय में हुई भारतीय ज्ञान परम्परा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

जौनपुर, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय ने अपने विद्यार्थियों को सदैव सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, विद्या, आत्मत्याग और देशभक्ति जैसे गुणों की शिक्षा देने की बात की थी। यह गुण भारतीय ज्ञान परम्परा की आत्मा है और चरित्र निर्माण के लिए अनिवार्य है।

अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन यहां वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवेद्यनाथ भवन में आयाेजित एक संगाेष्ठी काेसंबाेधित कर रहे थे। इस संगाेष्ठी का आयाेजन विश्वविद्यालय एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हुई। जिसमें “भारतीय ज्ञान परम्परा” विषय पर वक्ताओं ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध आयामों—शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और नैतिकता पर विस्तारपूर्वक विचार व्यक्त किए।

प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का उल्लेख करते हुए कहा कि देश के लिए कार्य करना प्रत्येक नागरिक का धर्म है और नई पीढ़ी को भी इसी भावना से प्रेरित होना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय ने विद्यार्थियों को सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, विद्या, आत्मत्याग और देशभक्ति जैसे गुणों की शिक्षा देने की बात की थी। यह गुण भारतीय ज्ञान परम्परा की आत्मा है और चरित्र निर्माण के लिए अनिवार्य है।

संगाेष्ठी में मुख्यवक्ता इसरो के पूर्व वैज्ञानिक व प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. ओम प्रकाश पांडे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा का मूल उद्देश्य आत्मचेतना को जागृत करना है। उन्होंने महाराणा प्रताप की तलवार और सबरी माला के पंचधातु दर्पण का उल्लेख करते हुए भारतीय कारीगरों की वैज्ञानिक दक्षता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाएं जब आंगन में तुलसी लगाती थीं, तो वह केवल आस्था का नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक था। प्रो. पांडे ने कहा कि गुरु में अग्नि भाव होना चाहिए। शिक्षा कभी केवल परीक्षण या पुस्तकों का विषय नहीं, बल्कि ज्ञान का विषय होना चाहिए। उन्होंने कुल परम्परा और गुरुकुल परम्परा को भारतीय शिक्षण प्रणाली की जड़ बताया।

सारस्वत अतिथि, राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय अमेठी के कुलगुरु प्रो. भृगुनाथ सिंह ने भारतीय ज्ञान परम्परा में इंजीनियरिंग एवं तकनीकी योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय परम्परागत विज्ञान को आधुनिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना समय की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ. प्रेमलता देवी ने भारतीय ज्ञान परम्परा में महिलाओं की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने की। उन्होंने योग और प्राणायाम को भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि मंत्रों की शक्ति चेतना और ऊर्जा के स्रोत हैं। कार्यक्रम का संचालन ईश्विका सिंह एवं स्वागत प्रो. मानस पांडे एवं धन्यवाद शानू सिंह ने दिया। इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक रामचंद्र, विभाग प्रचारक आदित्य, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह, प्रो. सूर्य प्रकाश सिंह, डॉ. विजय सिंह, डॉ.राहुल सिंह, कुलसचिव केशलाल, परीक्षा नियंत्रक विनोद कुमार सिंह, प्रो. मनोज मिश्र, डॉ. अजय दुबे एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ज्ञानेंद्र, वरुण, शिवम सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव

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