एआईयूटीयूसी ने बैठक कर आंदोलन की दी धमकी
रोहतक, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । हरियाणा में श्रमिकों का न्यूनतम वेतन दोबरा से निर्धारण करने बारे एआईयूटीयूसी ने श्रम आयुक्त हरियाणा से प्रदेश में श्रमिकों का न्यूनतम कम से कम 30,000 रुपये मासिक करने की मांग की है। कर्मचारियों की मांग को लेकर शनिवार को एआईयूटीयूसी की बैठक हुई। एआईयूटीयूसी प्रदेश अध्यक्ष कामरेड राजेंद्र सिंह का कहना है कि हरियाणा सरकार ने श्रमिकों का न्यूनतम वेतन पिछले 10 वर्ष से नहीं बढ़ाया, लम्बे अंतराल के बाद अब रिवाइज करने के लिए सुझाव मांगें गये हैं। जबकि कानून के अनुसार प्रत्येक 5 वर्ष में इसका पुनः निर्धारण होना चाहिए था। परिणामस्वरूप प्रदेश के श्रमिकों को बहुत भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है।
असल में, मजदूरों के मुंह का निवाला छीन कर उद्योगपतियों, नियोक्ताओं, मालिकों को फायदा पहुंचाया गया है। यह एक बहुत ही संवेदनशील व मानवीय पहलू है जिसकी अवहेलना की गई है। एआईयूटीयूसी द्वारा उठाई गई मांग को लगातार अनदेखा किया गया है। सन्तोष की बात है कि देर आय दुरुस्त आय की रीत निभाते हुए हरियाणा श्रम विभाग श्रमिकों का न्यूनतम वेतन रिवाइज करने के लिए आखिर अब तैयार हुआ है। जुलाई को गुड़गाँव में लेबर विभाग ने ट्रेड यूनियनों की एक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें एआईयूटीयूसी के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड राजेंद्र सिंह ने न्यूनतम वेतन रिवाइज करने के बारे अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे थे।
एआईयूटीयूसी ने इसमें तीस हजार रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन देने की मांग की है। संगठन के प्रदेश सचिव हरिप्रकाश ने बताया कि न्यूनतम वेतन तय किए जाने के लिए यह मांग 1957 में हुई इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस के निर्धारित मानदंडों और 1992 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप उठाई है। इसमें भोजन, वस्त्र, आवास की बुनियादी जरूरतों के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, पारिवारिक-सामाजिक जरूरतों व सामाजिक सुरक्षा को भी समाहित किया जाता है। इसी के आधार पर एक मजदूर परिवार के भरण-पोषण के लिए मासिक न्यूनतम वेतन तीस हजार रुपये की मांग सर्वथा जायज है।
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(Udaipur Kiran) / अनिल
