
तिरुपति, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सोमवार को कहा कि महिला सशक्तीकरण भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के विजन का एक अभिन्न अंग है।
विगत 10 वर्षों में हमने महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक नई योजनाएं और नीतियां बनाई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नियमित रूप से इस बात पर ज़ोर दिया है कि 21वीं सदी में भारत के विकास के लिए महिला सीक्तिकरण आवश्यक है। इनमें से कई योजनाओं ने व्यापक पैमाने पर महिलाओं के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
उपसभापति हरिवंश तिरुपति में महिला सशक्तीकरण पर विधायी समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
हरिवंश ने जेंडर बजटिंग के महत्व पर बल दिया और सभी समितियों से न केवल आवंटन बढ़ाने बल्कि व्यय की दक्षता पर भी ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 1997 में महिला सशक्तीकरण संबंधी समिति के गठन के बाद यह पहली बार है कि जब संसद और विभिन्न राज्य विधानमंडलों की समितियां इस प्रकार एक साथ मिल रही हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तरह के सम्मेलन और अधिक आयोजित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक बजट सत्र में बजट बढ़ाने की मांग तो होती है, लेकिन राजस्व कहां से आएगा इस बात पर अधिक चर्चा नहीं होती है। इस संदर्भ में व्यय दक्षता भी महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक रुपये का अधिकतम प्रभाव पड़े। उन्होंने जेंडर बजटिंग को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
प्रसिद्ध समाज सुधारक और शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का उल्लेख कर कहा कि ‘महिलाओं को शिक्षित करके हम पीढ़ियों को शिक्षित करते हैं और एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करते हैं।
हरिवंश ने कहा कि ये शब्द पारंपरिक शिक्षा के लिए जितने प्रासंगिक हैं, प्रौद्योगिकी के युग में भी ये उससे भी अधिक प्रासंगिक हैं।
उन्होंने दुर्गाबाई देशमुख के संविधान सभा में कहे गए शब्दों का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे पास ऐसे अनेक दृष्टांत हैं जहां महिलाएं पुरुषों से बेहतर प्रबंधक सिद्ध हुई हैं। इस सम्मेलन की कार्यवाही भी इसी संदेश को रेखांकित करती है।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
