
प्रयागराज, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिन्दी माह के अन्तर्गत भा.वा.अ.शि.प.-पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को “राजभाषा, विज्ञान एवं समाज विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विज्ञान तकनीकी और सामाजिक विषयों में हिन्दी भाषा की भूमिका पर विचार विमर्श किया गया।
संगोष्ठी में पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने राजभाषा एवं विज्ञान में हिन्दी के समावेश पर चर्चा किया साथ ही हिन्दी भाषा को अधिक से अधिक बढ़ावा देने का आह्वान भी किया। उन्होंने बताया कि यदि विज्ञान की जानकारी सरल हिन्दी भाषा में दी जाए, तो समाज की भागीदारी बढ़ती है और नवाचार को गति मिलती है।
वक्ता प्रो. दिनेश मणि, अध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिन्दी केवल सम्प्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि विज्ञान और समाज के बीच ज्ञान का सेतु भी है। वैज्ञानिक तथ्यों और अनुसंधानों को हिन्दी में प्रस्तुत करने से यह जनसामान्य तक अधिक प्रभावी रूप में पहुंचते हैं।
वक्ता पी.सी. मिश्रा, सेवानिवृत्त, उपनिदेशक, आयकर विभाग तथा पूर्व नराकास सचिव द्वारा शासकीय काम-काज तथा लेखन में हिन्दी को सरलता से प्रस्तुत करने के साथ ही राजभाषा के प्रयोग सम्बन्धी व्यावहारिक ज्ञान पर प्रकाश डाला गया। प्रो. स्वप्निल श्रीवास्तव, ईविंग क्रिश्चन कॉलेज, प्रयागराज ने साहित्य में विज्ञान तथा समाज की भूमिका विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. पवित्रा टण्डन, उपसचिव, नासी, प्रयागराज ने किया। अन्त में डॉ. सन्तोष शुक्ला, अधिशाषी सचिव, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत सरकार ने हिन्दी को ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी के समापन समारोह में दोनो संस्थानों के कर्मचारियों को हिन्दी में किये गये उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में ई.आर.सी., प्रयागराज की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर डॉ. आलोक यादव, डॉ. कुमुद दुबे एवं डॉ. अनुभा श्रीवास्तव के साथ वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी एवं हिन्दी अधिकारी डॉ. एस.डी. शुक्ला, रतन कुमार गुप्ता एवं अन्य कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
