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विंडर्जी इंडिया सम्मेलन 29 अक्टूबर से चेन्नई में होगा आयोजित, प्रह्लाद जोशी होंगे मुख्य अतिथि

विंडर्जी इंडिया सम्मेलन 29 अक्टूबर से चेन्नई में होगा आयोजित

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । देश का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला और सम्मेलन ‘विंडर्जी इंडिया 2025’ का सातवां संस्करण 29 से 31 अक्टूबर तक चेन्नई ट्रेड सेंटर में आयोजित किया जाएगा। इसका उद्घाटन केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी करेंगे। उद्घाटन सत्र में केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक भी मौजूद रहेंगे।

इंडियन विंड टरबाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) के सीईओ आदित्य प्यासी ने मंगलवार को यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि यह आयोजन सिर्फ व्यापार मेला नहीं बल्कि भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य की नींव रखने का महत्वपूर्ण अवसर है। इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं और उद्योग के बीच सीधा संवाद स्थापित करना है।

जेडएफ ग्रुप इंडिया के अध्यक्ष आकाश पास्सी ने कहा कि उनकी कंपनी विश्व के लिए पवन टरबाइन कलपुर्जे बनाती है और वर्तमान में 80 फीसदी से अधिक उत्पादन विदेशों में निर्यात करती है लेकिन सरकार की पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली नीतियों के चलते अगले साल 40 फीसदी उत्पादन घरेलू बाजार में इस्तेमाल होगा।

विंडर रिन्यूएबल एनर्जी के सीईओ के. भारती ने कहा कि यह क्षेत्र सरकार और उद्योग के सहयोग से तेजी से बढ़ रहा है और निर्माण से लेकर संचालन तक हर स्तर पर कौशल और गुणवत्ता पर जोर देना आवश्यक है।

इस सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के 350 से ज्यादा प्रदर्शक भाग लेंगे और लगभग 15 हजार लोगों के आने की संभावना है। डेनमार्क, जर्मनी और स्पेन जैसे पवन ऊर्जा के अग्रणी देशों के राष्ट्रीय पवेलियन भी इसमें शामिल होंगे। इस साल विषय “विंड पावर: आत्मनिर्भरता की ओर नीतियां और साझेदारियां” है, जो भारत की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को साकार करने पर केंद्रित है।

सम्मेलन की शुरुआत 29 अक्टूबर को ‘तुलसी आर टांटी स्मृति व्याख्यान’ से होगी, जिसमें राज्य नेतृत्व, वैश्विक अनुभव, आत्मनिर्भर निर्माण और लागत-कमी जैसे विषयों पर चर्चा होगी। 30 और 31 अक्टूबर को गोलमेज चर्चाएं और पैनल सत्र आयोजित किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि भारत वर्तमान में दुनिया में पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों के मामले में चौथे स्थान पर है। अगस्त 2025 तक देश की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 52,681.2 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। सरकार ने 2030 तक इस क्षमता को 100 गीगावाट और भविष्य में 150 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसे प्राप्त करने के लिए निरंतर नीतिगत सुधार और तकनीकी प्रगति की जा रही है।

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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर

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