
-आरोपित अधिकारियों की गिरफ्तारी व निलंबन की मांग
चंडीगढ़, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या ने प्रशासनिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। गुरुवार को उनकी पत्नी व आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को एक पत्र लिखते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज करने, आरोपियों को निलंबित करने और मृत अधिकारी के परिवार को आजीवन सुरक्षा देने की मांग की है।
जापान से लौटने के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री अमनीत पी. कुमार से मिलने उनके घर पहुंचे और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। इस दौरान कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार व कृष्ण बेदी के अलावा मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी व गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा भी उनके साथ मौजूद रहे।
इसी दौरान अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को दो पेज का पत्र सौंपा। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारी इस मामले में आरोपी हैं और वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि शक्तिशाली उच्च अधिकारी इस मामले में सीधे तौर पर संलिप्त हैं और वे एफआईआर दर्ज होने से रोक रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए ताकि सच सामने आ सके। अमनीत पी. कुमार ने बुधवार को ही चंडीगढ़ पुलिस में लिखित शिकायत देकर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। उन्होंने दोनों अधिकारियों को अपने पति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
पत्र में वाई.पूरण कुमार को देश और समाज के प्रति समर्पित, ईमानदार और साहसी अधिकारी बताया गया है। उन्हें उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। अमनीत कुमार ने कहा कि उनकी मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समुदाय को गहरे सदमे और असुरक्षा की भावना में डाल दिया है।
पत्र में यह गंभीर आरोप लगाया गया है कि मृतक अधिकारी द्वारा छोड़ी गई सुसाइड नोट और औपचारिक शिकायत में उन व्यक्तियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जिन्होंने उन्हें मानसिक उत्पीड़न, अपमान और प्रताड़ना दी। इसके बावजूद, 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। पत्र में कहा गया है कि यह सुसाइड नोट एक स्पष्ट ‘डाइंग डिक्लेरेशन’ है, जिसे कानूनी सबूत के रूप में देखा जाना चाहिए और तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
पत्र के अंत में अमनीत कुमार ने लिखा है कि यह मामला सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि ‘न्याय, समानता और कानून के शासन की परीक्षा’ है। वाई पुरन कुमार न्याय और ईमानदारी के प्रतीक थे। उनकी मृत्यु ने उस व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी है जो अब भी चुप है। उन्होंने आगे लिखा, ‘सरकार की त्वरित कार्रवाई न केवल परिवार को न्याय दिलाएगी, बल्कि समाज में यह संदेश देगी कि कानून सबके लिए समान है।’
—————
(Udaipur Kiran) शर्मा
