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पति की दूसरी शादी को साबित नहीं कर पाई पत्नी

jodhpur

जोधपुर, 6 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने दो शादी के मामले में हनुमानगढ़ की विनोद कुमारी की अपील को खारिज कर दिया है। जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा कि अभियोजन पक्ष (विनोद कुमारी) केस को साबित करने में विफल रहा है। महिला अपने पति की दूसरी शादी को साबित नहीं कर पाई। केवल साथ रहना या पति-पत्नी के रूप में रहने के आरोप पर्याप्त नहीं हैं। इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पति प्रेम कुमार सहित छह आरोपी बरी हो गए हैं। हाईकोर्ट ने स्पेशल जज (एससी/एसटी एक्ट) हनुमानगढ़ के 28 मार्च 2017 के फैसले को बरकरार रखा है।

विनोद कुमारी ने अपने पति प्रेम कुमार पर आरोप लगाया था कि उसने पहली शादी के रहते हुए कमला नाम की महिला से दूसरी शादी की है। इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाने के बाद ट्रायल कोर्ट ने प्रेम कुमार और कमला को आईपीसी की धारा 494 के तहत दो विवाह का दोषी मानते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही 15 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था। जबकि, सुखदेव, कृष्ण, रुखमणी और बनवारी लाल को धारा 494/109 के तहत दुष्प्रेरण का दोषी मानते हुए एक साल कारावास और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले को आरोपियों द्वारा चुनौती दी गई। उसी अपील पर स्पेशल जज (एससी/एसटी एक्ट) हनुमानगढ़ ने 28 मार्च 2017 को अपील की सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि प्रेम कुमार ने वैध रीति-रिवाज के साथ दूसरी शादी की है। इस फैसले के खिलाफ विनोद कुमारी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास है। विनोद कुमारी ने कहा था कि वह पैसेंजर बस से शादी के स्थान पर गई थी। गवाह जोरूराम ने कहा कि वह जीप से गोगामेड़ी गया था। इसके अलावा गवाह राधेश्याम ने कहा कि वह ट्रेन से गया था। अर्जुन राम ने कहा कि वे दोनों साथ में ट्रेन से गोगामेड़ी गए थे। अभियोजन पक्ष का केस था कि शादी रामगढ़ में हुई थी, लेकिन गवाहों ने गोगामेड़ी जाने की बात कही। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि आईपीसी की धारा 494 के तहत दो विवाह का अपराध साबित करने के लिए दो मुख्य बातें जरूरी हैं। पहली शादी वैध और कायम होना चाहिए। दूसरी शादी भी सभी आवश्यक रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ हुई हो, जो कानूनन वैध मानी जाए। केवल साथ रहना या पति-पत्नी के रूप में रहने के आरोप पर्याप्त नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास न तो कोई दस्तावेजी सबूत हैं। न ही कोई विश्वसनीय गवाह है, जो यह साबित कर सके कि प्रेम कुमार ने कमला से वैध शादी की है। जगदीश और शंकरलाल नाम के दो गवाह, जिन्होंने कथित तौर पर विनोद कुमारी को शादी की जानकारी दी थी, उन्हें भी गवाह के रूप में पेश नहीं किया गया। चारों गवाहों के बयानों में इतने विरोधाभास हैं कि इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने अपीलीय कोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी करने के फैसले को बरकरार रखते हुए विनोद कुमारी की अपील को खारिज कर दिया।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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