HimachalPradesh

शिक्षकों को टेट की अनिवार्यता के फैसले पर सरकार क्यों है खामोश : जयराम ठाकुर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर

शिमला, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से प्रदेश के हजारों शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहराता जा रहा है, लेकिन हिमाचल सरकार अब तक चुप्पी साधे बैठी है।

जयराम ठाकुर ने शनिवार को कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितम्बर 2025 को अंजुमन-ए-इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में देशभर के कक्षा 1 से 8 तक पढ़ा रहे सभी सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस आदेश के अनुसार, जो शिक्षक टीईटी पास नहीं करेंगे, उनकी नौकरी और पदोन्नति दोनों पर असर पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि यह फैसला देश भर के शिक्षकों के लिए झटका है और हिमाचल प्रदेश में भी हजारों शिक्षक इससे प्रभावित हो रहे हैं, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले से सेवा में हैं और पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। जयराम ठाकुर ने कहा, देश के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है, लेकिन हिमाचल सरकार अब तक कोई कदम नहीं उठा पाई है।

उन्होंने प्रदेश सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आए तीन सप्ताह बीत चुके हैं लेकिन न तो सरकार और न ही शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में कोई रिव्यू पेटिशन दाखिल की है। इससे प्रभावित शिक्षकों में भारी असमंजस और चिंता का माहौल है।

जयराम ठाकुर ने मांग की कि हिमाचल प्रदेश सरकार को तुरंत अन्य राज्यों की तरह पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए ताकि प्रदेश के शिक्षकों को राहत मिल सके। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व भाजपा सरकार ने इन शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी और लगभग 12,000 शिक्षकों को नियमों में छूट देकर नियमित किया गया था।

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(Udaipur Kiran) शुक्ला

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