
—साइबर ठगी के पीड़ितों की मदद पुलिस और कार्यकर्त्ता मिलकर करेंगे,ठगों के नम्बर और नाम पुलिस को सौंपेंगे
वाराणसी, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । पहले हजारों की चोरी होती थी तो शहर में सनसनी फैल जाती थी, डकैती को तो बड़ा अपराध माना गया। अब तो साइबर डाकू लाखों की डकैती दिनदहाड़े कर ले रहे हैं और उनकी पहचान नहीं होने से वे पकड़े भी नहीं जा रहे। साइबर डाकुओं के निशाने पर रिटायर्ड होने वाले कर्मचारी हैं, जिनको लोभ देकर ठग अपने जाल में फंसा लेते हैं और पूरा पैसा लूट लेते हैं। यह उद्गार सामाजिक संस्था विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव के है। डॉ राजीव रविवार को लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित साइबर अपराध नियंत्रण एवं जागरूकता विषयक कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 जनपदों में यह प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू की जाएगी। संस्थान एवं साइबर पुलिस की संयुक्त पहल से प्रत्येक थाना स्तर और प्रशिक्षित साइबर एक्टिविस्ट तैयार किये जायेंगे, जो लोगों को जागरूक करेंगे और समय रहते फ्रॉड होने से बचाएंगे। इसके पहले कार्यशाला का उद्घाटन साइबर क्राइम के सहायक पुलिस आयुक्त विदुष सक्सेना एवं पूर्व पुलिस अधिकारी धनंजय मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। एसीपी विदुष सक्सेना ने प्रोजेक्टर के माध्यम से कार्यशाला में साइबर ठगों के बारे में जानकारी दी। मोबाइल पर आने वाले झूठे ऐप के बारे में बताया। कहा कि कोई भी सरकारी अधिकारी, जज, पुलिस ऑनलाइन फोन करके कुछ कहे तो पहले उसके झांसे में न आएं। जो कहे उसको न करें। मौका मिलते ही पुलिस को सूचित करें।
उन्होंने बताया कि अब हर 14 सेकंड पर एक शिकायत साइबर क्राइम की आ रही है। कोई भी कुछ कहे तो पहले रुको, सोचो तब करो। 99 प्रतिशत से ज्यादा लोग 2 घण्टे से ज्यादा नेट चलाते हैं। अब अपराधी डिजिटल रेकी करता है और प्रोफाइल बनाता है। साइबर क्रिमिनल एक इंडस्ट्री बना चुके हैं। इनके बड़े-बड़े ऑफिस बना रहे है। कुछ ही मिनट में हमारे देश का पैसा बाहर जा रहा है। एसीपी ने बताया कि बनारस में एक शिक्षक के साथ 03 करोड़ का फ्रॉड हो गया। डिजिटल अरेस्ट एक बड़ा फ्रॉड है। डेटा प्रोफाइलिंग करके अपराधी सम्बंधित व्यक्ति को फोन करके उसके बारे में बताने लगता है। फिर कहता है कि आपका एकांउन्ट साइबर फ्रॉड में पकड़ा गया है। आप तुरन्त पुलिस के पास आओ और घर से बाहर नहीं निकलना। इसी को कहते है डिजिटल अरेस्ट। कोई डिजिटल अरेस्ट करे, तो ये जरूर सोचिए असली पुलिस कभी ऑनलाइन जानकारी नहीं मांगती और न ही अरेस्ट करने की धमकी नहीं देती। जो आपको फोन करता है उससे पूछिये की अगर मेरे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज है तो एफआईआर नम्बर और थाने का नाम बताओ। जॉब स्कैम में हमेशा आपसे पंजीकरण फीस मांगते है। उसे कभी न दे। साइबर एक्सपर्ट विराट ने बताया कि 5500 शिकायत दर्ज हुई है, 30 करोड़ का फ्रॉड हो चुका है। साइबर क्रिमिनल लालच और डर दिखाकर लूटता है। जब फंस जाए तो 1930 पर काल करे, अलर्ट मोड़ पर रहिए।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी धनंजय मिश्र ने बताया कि आप खुद जागरूक रहकर अपने किसी भी सूचना या ओटीपी को शेयर न करे। आपकी सूचना ही अपराधियों का हथियार है। इस अवसर पर साइबर पुलिस ने संस्थान के कार्यकर्त्ताओं को जुड़कर काम करने का प्रस्ताव दिया, जिसको संस्थान ने स्वीकार कर लिया। प्रशिक्षित 35 साइबर एक्टिविस्टों को एसीपी विदुष सक्सेना एवं धनंजय मिश्रा ने प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरित दिया। संचालन युवा परिषद के प्रदेश प्रमुख विवेकानन्द सिंह ने किया।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
