
कोलकाता, 15 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित स्कूल भर्ती घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ उनके ही दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य का बयान अब जांच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। दामाद ने इस साल मार्च में अदालत की अनुमति के बाद अपने ससुर के खिलाफ गवाही देने का फैसला किया था और विशेष पीएमएलए अदालत में उनका गोपनीय बयान दर्ज किया गया।
सूत्रों के अनुसार, कल्याणमय भट्टाचार्य का बयान इस घोटाले की शुरुआती गड़बड़ियों से ज्यादा बाद के चरणों को उजागर करता है। शुरुआती दौर में जहां चटर्जी पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं और अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूलने का आरोप है, वहीं दामाद की भूमिका तब सामने आई जब यह रकम इकट्ठी होने के बाद अलग-अलग रास्तों से निवेश और हेरफेर की गई।
कानूनी जानकारों का कहना है कि सीबीआई की जांच मुख्य रूप से भर्ती में गड़बड़ी और पैसों की वसूली पर केंद्रित थी, जबकि ईडी की जांच पैसों के निवेश और मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू पर टिकी है। ऐसे में भट्टाचार्य का बयान ईडी की जांच और मुकदमे की कार्यवाही में ज्यादा उपयोगी साबित होगा।
कल्याणमय भट्टाचार्य बाबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट के सदस्य भी थे। यह ट्रस्ट पार्थ चटर्जी की दिवंगत पत्नी के नाम पर बना था और ईडी की चार्जशीट में इसे “आरोपित संस्था” बताया गया है। आरोप है कि एजेंटों के जरिए प्राप्त भारी नकदी को दान के रूप में दिखाया जाता था और फिर उसी पैसे से ट्रस्ट के नाम पर जमीन व अन्य संपत्तियां खरीदी जाती थीं।
ईडी के मुताबिक, इस ट्रस्ट का इस्तेमाल अवैध रूप से कमाई गई रकम को वैध दिखाने और आगे संपत्ति में बदलने के लिए किया गया। अब दामाद का बयान इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में केंद्रीय एजेंसियों की बड़ी मदद करेगा।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
