बारासात (उत्तर 24 परगना), 20 जून (Udaipur Kiran) । गले में तुलसी की माला पहनकर स्कूल में प्रवेश करना अब बारासात के एक स्कूल में मना कर दिया गया है। स्कूल की मुख्य शिक्षिका स्कूल गेट पर खुद खड़ी होकर यह निगरानी कर रही हैं कि कोई भी छात्रा तुलसी की माला पहनकर न आए। यही नहीं, इस संबंध में उन्होंने सख्त निर्देशिका भी जारी की है। यह घटना बारासात नवपल्ली योगेंद्रनाथ बालिका विद्यालय की है, जहां तुलसी की माला को लेकर छात्रों और अभिभावकों में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, स्कूल की प्रधानाध्यापिका इंद्राणी दत्ता चक्रवर्ती ने छात्राओं के तुलसी की माला पहनकर आने पर प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने इस नियम को लागू करने के लिए स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप पर भी निर्देश भेजे हैं। इस आदेश से नाराज़ अभिभावकों का कहना है कि अगर छात्राएं धार्मिक आस्था के तहत तुलसी की माला पहनती हैं, तो इससे पढ़ाई के माहौल पर कोई असर नहीं पड़ता। बल्कि ऐसे प्रतिबंध मानसिक रूप से बच्चों को ठेस पहुंचा सकते हैं।
स्थानीय लोगों का भी यही सवाल है कि आखिर तुलसी की माला पहनकर स्कूल आने से पढ़ाई कैसे बाधित होती है। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष चंपक दास ने भी प्रधानाध्यापिका की इस कार्रवाई की तीखी आलोचना की और कहा कि कोई भी स्कूल छात्राओं की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचा सकता। तुलसी की माला से पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं होता, उल्टे ऐसे प्रतिबंध से स्कूल का माहौल खराब हो सकता है।
हालात बिगड़ते देख प्रधानाध्यापिका ने सफाई दी कि एक दिन उन्होंने एक छात्रा को तुलसी की माला पहने देखा था जो गलती से टूटकर ज़मीन पर गिर गई। उनके अनुसार, अगर किसी के पैर से माला लग जाती तो धार्मिक भावना आहत हो सकती थी, इसलिए उन्होंने माला पहनकर आने से मना किया।
हालांकि, अभिभावक प्रधानाध्यापिका की यह दलील मानने को तैयार नहीं हैं। स्कूल प्रबंधन समिति के कुछ सदस्य भी मानते हैं कि ऐसा निर्णय लेने से पहले समिति से चर्चा की जानी चाहिए थी। इस पूरे मामले को लेकर इलाके में भ्रम और तनाव का माहौल पैदा हो गया है।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
