
कोलकाता, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने शुक्रवार को कुल 28 आरोपितों पर आरोप तय कर दिए। इनमें सबसे बड़ा नाम राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव पार्थ चटर्जी का है।
यह मामला गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में हुई अनियमितताओं से जुड़ा है। अदालत ने शुक्रवार को इस केस में आरोप तय किए। इससे एक दिन पहले गुरुवार को भी सीबीआई की एक अन्य केस में चार्ज फ्रेमिंग की प्रक्रिया पूरी हुई थी, जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ियों से संबंधित थी।
पार्थ चटर्जी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष सीबीआई अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लिया। आरोप तय होने के बाद उन्होंने अदालत से बोलने की अनुमति मांगी और खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा, केंद्रीय जांच एजेंसियां मेरे खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही हैं। मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा है और उसे बचाना अदालत की जिम्मेदारी है। मैं साढ़े तीन साल से जेल में हूं। मैं डॉक्टर हूं। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो मेरा न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा। कृपया मुझे मुक्त कीजिए। मैंने कभी किसी को नौकरी की सिफारिश नहीं की है।
हालांकि, अदालत ने उन्हें स्पष्ट किया कि गवाहों के बयान के दौरान उन्हें बोलने का अवसर मिलेगा। साथ ही यह भी याद दिलाया कि उन्होंने शिक्षा विभाग में अपनी सुविधा के लिए अधिकारियों का तबादला करवाया था।
28 आरोपितों में पार्थ चटर्जी सबसे लंबे समय से जेल में हैं। उन्हें जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके आवास से गिरफ्तार किया था। ईडी इस घोटाले में समानांतर जांच कर रही है। बाद में सीबीआई ने भी उन्हें हिरासत में लिया।
हाल के दिनों में चटर्जी को सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज लगभग सभी मामलों में अलग-अलग अदालतों से जमानत मिल चुकी है। लेकिन, अभी भी वे जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड द्वारा प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ियों से जुड़े अलग मामलों में उनकी गिरफ्तारी दर्ज है।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
