
चंपावत, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । मातृभाषा ही हमारी जड़ों से जोड़ने वाली डोर है, इसी संदेश को जीवंत करने के लिए राजधानी दिल्ली में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं के संरक्षण में योगदान देने वाले शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
स्पीकर हॉल, कांस्टीट्यूशन क्लब में हुए इस आयोजन में मंच पर एक अनूठा संगम दिखाई दिया जहाँ कुमाउनी, गढ़वाली और जौनसारी भाषाओं की ग्रीष्मकालीन कक्षाओं को सफल बनाने वाले शिक्षकों को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, साहित्य संस्कृति भाषा मंत्री कपिल मिश्रा, डीपीएमआई के निदेशक एवं उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच, नई दिल्ली के संरक्षक डॉ. विनोद बछेती ने अपने विचार साझा किए और भाषा संरक्षण की दिशा में चल रहे प्रयासों को सराहा। चंपावत जिले के लिए यह क्षण गौरव का रहा, जब ललित मोहन तिवारी, हेमा बिष्ट और तुलसी भट्ट ,को सम्मानित किया गया।
मंच से उठी तालियों की गड़गड़ाहट और भाषा-प्रेमियों की आंखों की चमक इस बात का प्रमाण थी कि मातृभाषा की जड़ों को संवारने का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा।
(Udaipur Kiran) / राजीव मुरारी
