Assam

असम में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई विश्वकर्मा पूजा, मुख्यमंत्री ने किया दर्शन

गुवाहाटी, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । असम के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को विश्वकर्मा पूजा बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव के साथ मनाई गई। प्रदेश के विभिन्न संस्थान, औद्योगिक इकाइयां, सार्वजनिक स्थल और धार्मिक केंद्रों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर कई जगहों पर विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था वह सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के पुत्र माने जाते हैं। यही नहीं भगवान विश्वकर्मा को संसार का प्रथम शिल्पकार और इंजीनियर भी कहा जाता हैं। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है इसलिए विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर सभी कारखाने, दुकानों और दफ्तरों में विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

सबसे उल्लेखनीय दृश्य कामरूप जिले के रंगिया क्षेत्र के तुलसीबाड़ी में देखने को मिला, जहां विश्वकर्मा पूजा चल रही थी और अचानक मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा वहां पहुंच गए। मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार से लौटते समय मंदिर प्रांगण में पहुंचे। उनके अचानक आगमन से स्थानीय बाजार और भक्तों के बीच उत्साह और उल्लास का माहौल बन गया। लोग उनके साथ तस्वीरें लेने के लिए उमड़ पड़े। मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा मंदिर में पूजा-अर्चना की और स्थानीय नागरिकों के आग्रह पर आश्वासन दिया कि मंदिर का पूर्ण निर्माण सरकार की ओर से कराया जाएगा। वहीं रंगिया नगर में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हर्षोल्लास से मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से बीटीसी चुनाव में सक्रिय भागीदारी का आह्वान भी किया।

इसी कड़ी में गोलाघाट जिले के खुमटाई के आधार सत्र त्रिनयन युवा संघ द्वारा भी हर वर्ष की तरह इस बार भी विश्वकर्मा पूजा का आयोजन भव्य तरीके से किया गया। सुबह से ही वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजा का आरंभ हुआ। श्रद्धालुओं ने भगवान विश्वकर्मा के चरणों में धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर अपने कार्यक्षेत्र में प्रगति और मंगल की कामना की। इसके बाद महिला और किशोर-किशोरियों ने दिहानाम प्रस्तुत किया और रात को स्थानीय कलाकारों द्वारा महापुरुषीय नाटक का मंचन कर कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।

वहीं रंगिया थाना परिसर में भी इस पूजा का अनोखा नजारा देखने को मिला। यहां पुलिसकर्मियों ने खाकी वर्दी त्यागकर पारंपरिक असमिया धोती पहनकर पूजा-अर्चना की। किसी ने पूजा में भाग लिया तो कोई अतिथियों का स्वागत करते दिखा। इस अवसर पर थाना परिसर में पुलिस वाहनों की विशेष पूजा की गई और प्रसिद्ध नागारा नाम पाथिका सुरभि दास ने नागारा नाम प्रस्तुत किया। इसके अलावा रंगिया के कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों में भी पूजा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए।

शोणितपुर जिले के ढेकियाजुली स्थित शिंगरी के ऐतिहासिक श्रीश्री विश्वकर्मा मंदिर में भी पूजा का आयोजन किया गया। माना जाता है कि यह मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है और गुप्तेश्वर शिव मंदिर के समीप स्थित है। प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान शिव के क्रोध से इस मंदिर का विनाश हुआ था और बाद में भीषण भूकंप से यह मंदिर ध्वस्त हो गया। आज भी यहां टूटे-फूटे शिलाखंड, मूर्तियां और स्तंभ प्राचीन इतिहास की गवाही देते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मंगल होता है और दुर्घटनाओं से रक्षा मिलती है। हर वर्ष की तरह इस बार भी यहाँ भारी संख्या में भक्त आशीर्वाद लेने पहुंचे।

इस प्रकार पूरे असम में विश्वकर्मा पूजा ने श्रद्धा, सांस्कृतिक रंग और धार्मिक उत्साह का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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