
मीरजापुर, 17 जून (Udaipur Kiran) । रबी विपणन वर्ष 2025-26 में विंध्याचल मंडल गेहूं खरीद के मामले में बुरी तरह पिछड़ गया है। सरकारी लक्ष्य के मुकाबले कुल खरीद महज 38.53 प्रतिशत पर ही सिमट गई। तीनों जिलों- मीरजापुर, सोनभद्र और भदोही में कुल 225 खरीद केंद्रों और मोबाइल टीमों के माध्यम से 7681 किसानों से सिर्फ 33,903.45 टन गेहूं ही खरीदा जा सका, जबकि लक्ष्य था 88,000 टन का।
पिछले साल से भी कम रही इस बार की खरीद वर्ष 2024-25 में मंडल भर में 38,624.24 टन गेहूं खरीदा गया था। इस साल न सिर्फ लक्ष्य अधूरा रह गया बल्कि पिछली बार से भी 4720.79 टन कम खरीद हुई। मोबाइल केंद्रों ने जरूर राहत दी और गांव-गांव जाकर 9723.24 टन गेहूं की खरीद की, मगर यह कोशिश भी मंडल को सेकेंड डिवीजन से पास नहीं करा सकी।
मीरजापुर रहा अव्वल, भदोही सबसे फिसड्डी जिला मीरजापुर ने तीनों जिलों में सर्वाधिक खरीद की। यहां 111 केंद्रों के जरिये 4571 किसानों से 20,886.78 टन गेहूं खरीदा गया, जो निर्धारित लक्ष्य 36,000 टन के सापेक्ष 58.02 प्रतिशत है। वहीं सोनभद्र में 77 केंद्रों पर 33,500 टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 9779 टन (29.19 प्रतिशत) और भदोही में 37 केंद्रों पर 18,500 टन के मुकाबले महज 3237.67 टन (17.50 प्रतिशत) की खरीद ही हो सकी।
भुगतान में मामूली देरी, अधिकांश को राशि मिल चुकी मंडल में अब तक कुल 8289.39 लाख रुपये मूल्य का गेहूं खरीदा गया है, जिसमें से 8276.65 लाख रुपये का भुगतान किसानों को हो चुका है। सिर्फ 12.75 लाख रुपये का भुगतान लंबित है, जिसे जल्द निपटाने का दावा विभाग कर रहा है।
एफसीआई को भेजा जा रहा है अनाज अब तक खरीदे गए कुल 33,903.45 टन गेहूं में से 32,559.21 टन अनाज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को भेजा जा चुका है। शेष 1344.24 टन गेहूं को भेजने की प्रक्रिया चल रही है।
क्या है खरीद में गिरावट की वजह? विभागीय अधिकारियों के अनुसार, बाजार में खुले में मिल रहे बेहतर भाव, मौसम की मार और किसान जागरूकता की कमी ने इस बार गेहूं खरीद को प्रभावित किया। कई किसानों ने समर्थन मूल्य से ज्यादा भाव पर अपना अनाज व्यापारियों को बेच दिया।
जमीनी स्तर पर बदलाव की जरुरत सरकारी कोशिशों और मोबाइल केंद्रों के प्रयासों के बावजूद विंध्याचल मंडल गेहूं खरीद के मामले में ‘फेल’ हो गया है। अब जरूरत है जमीनी स्तर पर किसानों से संवाद और नीति में बदलाव की, ताकि अगली बार सिर्फ आंकड़े नहीं, अन्नदाता की भागीदारी भी दिखे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
