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विमल नेगी मौत मामला : पूर्व एमडी हरिकेश मीणा की अंतरिम जमानत 11 अगस्त तक बढ़ी

शिमला, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पावर कॉर्पोरेशन के पूर्व एमडी हरिकेश मीणा को चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में दी गई अंतरिम राहत की अवधि बढ़ाकर 11 अगस्त तक कर दी है। इस प्रकरण की जांच अब सीबीआई कर रही है।

दरअसल, 7 अप्रैल को हाई कोर्ट ने पूर्व एमडी हरिकेश मीणा को अंतरिम राहत देते हुए जांच एजेंसियों को उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया था। न्यायाधीश विरेंदर सिंह की अदालत में सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से तर्क दिया गया था कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा चुकी है, इसलिए राज्य सरकार अब आवश्यक पक्षकार नहीं रह गई है। अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए राज्य सरकार की जगह सीबीआई को प्रतिवादी बनाने के आदेश जारी किए थे।

10 मार्च को लापता हुए हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत से जुड़ा है। नेगी का शव 18 मार्च को बिलासपुर जिले की गोबिंद सागर झील में मिला था। नेगी की पत्नी किरण नेगी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पावर कॉर्पोरेशन के तत्कालीन एमडी हरिकेश मीणा और निदेशक देसराज समेत अन्य अधिकारियों पर उनके पति को मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाया था। उनकी शिकायत पर न्यू शिमला पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें इन अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए।

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए थे ताकि निष्पक्ष और व्यापक जांच सुनिश्चित की जा सके। अब इस मामले की हर पहलू से सीबीआई जांच कर रही है।

इस बीच हाई कोर्ट में इस मामले से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण आवेदन पर भी सुनवाई चल रही है। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने कोर्ट में अपील दायर करने की अनुमति मांगी थी, जिस पर अब सुनवाई 25 अगस्त को होगी। हाई कोर्ट की खंडपीठ न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रंजन शर्मा ने इस संबंध में राज्य सरकार, सीबीआई और याचिकाकर्ता किरण नेगी को नोटिस जारी किए हैं।

खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि नोटिस केवल इस सीमित मुद्दे पर जारी किया गया है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी की रिपोर्ट के आधार पर एकल पीठ द्वारा की गई टिप्पणियां एसपी संजीव गांधी के सेवाकाल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि इस पहलू पर विचार करना आवश्यक है।

संजीव गांधी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्हें मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जिस आधार पर एकल पीठ ने जांच सीबीआई को सौंपी, उस पर वे व्यथित हैं। उनका कहना है कि इन टिप्पणियों से उनके सेवाकाल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अदालत ने प्रतिवादियों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय भी दिया है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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