RAJASTHAN

जेएनवीयू : राजस्थानी के पर्याय है विजयदान देथा: प्रो. बिश्नोई

jodhpur

जोधपुर, 01 सितम्बर (Udaipur Kiran) । जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग द्वारा ख्यातनाम राजस्थानी कथाकार पद्मश्री विजयदान देथा के 99वीं जयंती पर सोमवार को विभाग में उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी साहित्य साधना पर साहित्यिक चर्चा की गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि कला शिक्षा एवं समाज विज्ञान संकाय अधिष्ठाता प्रोफेसर (डॉ.) मंगलाराम बिश्नोई ने कहा कि ख्यातनाम कथाकार विजयदान देथा ने आधुनिक राजस्थानी भाषा एवं साहित्य को विश्व स्तर पर एक नई पहचान दी। उन्हें राजस्थानी भाषा एवं साहित्य का पर्याय कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है। राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने विजयदान देथा को लोक चित का अनूठा रचनाकार बताते हुए उनके कथा साहित्य साधना को उजागर किया।

उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलना ही इस दिव्य महापुरुष को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सहायक आचार्य डॉ. धनंजया अमरावत ने विजयदान देथा के बहु आयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वो एक कर्मयोगी रचनाकार थे। सहायक आचार्य डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने उनके साहित्य पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि वे राजस्थानी के रविन्द्रनाथ टैगोर है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा विजयदान देथा की तस्वीर के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पमाला पहनाकर पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात मुख्य अतिथि का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर विष्णुशंकर, जगदीश, मगराज, माधोसिंह, नरेंद्रसिंह, शांतिलाल मामा सहित अनेक शोध-छात्र एवं विधार्थी मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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